पेगासस मामले पर कोर्ट के हस्ताक्षेप से ही पता लग सकता है कि मोदी सरकार के कितने पेगासस सॉफ्टवेयर खरीदे इजराइली कंपनी से
पेगासस जासूसी मामले पर एक तरफ विपक्ष के हो हंगामें के कारण संसद नही चल पा रही है वही बिहार के मुख्यमंत्री नीतिश कुमार के सुर भी विपक्ष के साथ मिलते नजर आ रहे है। वही दूसरी तरफ सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस एनवी रमना ने कहा कि अगर जासूसी से जुड़ी रिपोर्ट सही हैं तो ये गंभीर आरोप हैं। कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं से अपनी अपनी अर्जियों की कापी केंद्र सरकार को भेंजने को कहा है। चीफ जस्टिस ने कहा कि जासूसी की रिपोट्र्स 2019 में आमने आई थी, लेकिन यह नही पता कि इसके बाद में किसी ने ज्यादा जानकारी जुटाने की कोशिश की या नहीं। इस मामले की अगली सुनवाई 9 अगस्त को होने के बाद ही पता लग पायेगा कि आगे क्या होने वाला है। सुप्रीम कोर्ट ने भी जासूसी को गंभीर मान कर यह संकेत तो दिये है कि मामला गंभीर है, लेकिन मोदी सरकार क्यो नजरअंदाज करने पर तुली हुई है है यह सवाल आम जनता में भी चर्चा का विषय बनता जा रहा है। गौरतलब है कि इसी मामले पर इजरायल सरकार भी पेगासस जासूसी उपकरण बनाने वाले कंपनी की जांच करा रही है, फ्रांस सरकार भी इस पेगासस जासूसी मामले की बेहद गंभीरता से लिया है लेकिन मोदी सरकार क्यो इस मामले पर ना ही संसद में बहस करना चाहती है और ना ही जांच कराना चाहती है? यह ऐसा सवाल है जिसका जवाब जिनकी जासूसी हुई उनके साथ ही देश की नजता भी जानना चाहती है। कृषि बिल की तरह ही पेगासस जासूसी मामले पर मोदी सरकार ही हठधर्मिता के चलते देशवासियों की निगाहें सुप्रीम कोर्ट पर टिकी हुई है कि वह इतने अहम मामले पर क्या फैसला करती है। पूर्व में सुप्रीम कोर्ट ने राफेल सौंदे को क्लीन चीट दे दी थी लेकिन फ्रांस सरकार ने मिडिया पार्ट के रिपोर्ट के आधार पर इसकी जांच करने के आदेश देकर कही ना कही राफेल में कोर्ट के दिये फैसले पर सवाल उठा दिया हेै। पेगासस जासूसी कांड ने दुनिया में पनामा पेपर की तरह भूचाल मचाया हुआ है लेकिन मोदी सरकार इससे पूरी तरह से पल्ला झाडऩे में लगी है, जैसे कुछ हुआ ही नही है। गौरतलब है कि जनता को यह भी अभी तक पता नही लगा पाया है कि मोदी सरकार ने कितने पेगासस सॉफ्टवेयर खरीदे है। कोर्ट के हस्ताक्षेप से ही देश की जनता को यह पता लग पायेगा क्योकि मोदी सरकार किसी भी हालत में यह बताना नही चाहती है।