आँक्सीजन की कोई नही मरने के बाद किसान आंदोलन में कोई किसान नही मरने का किया गया दावा
पंजाब सरकार 220 किसानों के मरने का दावा कर रही है
मानसून सत्र में मोदी सरकार के द्वारा दी जाने वाली जानकारी से देश ही नही दुनिया के लोग भी आश्चर्यचकित हो रहे है, पहले मोदी सरकार के स्वाथ्स्य राज्य मंत्री भारती प्रवीण ने बताया कि देश में ऑक्सीजन की कमी से एक भी मौत नही हुई, अभी इस आश्चर्यचकित जानकारी से देश की जनता उबर भी नही पायी थी कि कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने देश से नयी जानकारी साझा की कि आठ महीने से चल रहे किसान आंदोलन में एक भी किसान की मौत नही हुई है। जबकि ऑक्सीजन की कमी से मौत के मामलों की तरह ही किसान आंदोलन में किसानों की मौत भी सुर्खियंा बन रही थी। यह दोनों बताते है कि मोदी सरकार कितनी संवेदनशील सरकार है उसे आम जनता की कितनी फ्रिक है कि देश जरूर आंक्सीजन की कमी से जूझ रहा था विदेशों से ऑक्सीजन मांगनी पड़ी लेकिन देश में एक भी ऑक्सीजन की कमी से मरने नही दिया गया उसी तरह ही भीषण ठंड में देश के अन्य हिस्सों में लोगों की जान जा रही थी लेकिन किसान आंदोलन में किसी की भी जान नही जाने दी। वही पंजाब सरकार जरूर किसान आंदोलन के दौरान 20 जुलाई तक 220 किसानों और खेती करने वाले मजदूरों की मौत का दावा किया है। इसमें से 203 मालवा, 11 माझा व दो दोआबा क्षेत्र के निवासी है। सवाल यह है कि कृषि मंत्री श्री तोमर ने किस डेटा के हिसाब से देश को यह जानकारी दी कि किसान आंदोलन में एक भी किसान की मौत नही हुई है उसे साझा करना चाहिए, क्योकि आँक्सीजन की कमी के मामले पर मोदी सरकार यह कह करके अपना बचाव कर लिया कि किसी भी राजय सरकार ने कोरेाना की दूसरी लहर में ऑक्सीजन की मौत की जानकारी नही दी है, लेकिन किसानों की मौत के मामले पर पंजाब सरकार 220 किसानों की मौत की जानकारी देने बाद भी कृषि मंत्री का यह बयान की किसान आंदोलन में एक भी किसान की मौत नही हुई है सवाल तो खड़े करता है। कृषि मंत्री का यह बयान उस वक्त आया है जब मोदी सरकार की मंत्री मीनाक्षी लेखी ने आंदोलनकारी किसानों को मवाली करार दिया है जो साबित करता है कि मोदी सरकार किसान आंदोलन को लेकर कितनी बेफ्रिक है, वह आठ महीने से चल रहे स्वतंत्र भारत के सबसे बड़े आंदोलन को भी सिरे से नकार रही है। ऐसे हालातों में किसान आंदोलनकारियों की कृषि बिल वापसी की मांग कैसे पूरा होगी?