कांग्रेस विपक्ष में रहते आधे अधूरे निर्माण कार्यो का विरोध करती थी, सत्ता बदलने के बाद भाजपा के पदचिन्हों पर ही चलती दिखाई दे रही है।
कांग्रेसी विपक्ष में रहते हुए भाजपा सरकार के आधे अधूरे कामों के लोकार्पण का विरोध करते थे, लेकिन सत्ता बदलने के बाद भी आधे अधूरे लोकार्पण का सिलसिला जारी रहना आम जनता को स्पष्ट संदेश दे रहा है कि कांग्रेसी सत्ता तक पहुंचने के लिए आधे अधूरे निर्माण कार्य का विरोध करते थे ना की व्यवस्था में बदलाव लाने के लिए। सत्ता तक पहुंचने के लिए जब तक विपक्ष सरकार को निशाना
बनायेगा तब तक व्यवस्था में सुधार की कोई संभावनाएं नही है।
सिटी ग्राउण्ड के आधे अधूरे निर्माण के बाद अब बॉलीकोंट में करोड़ो की लागत से बनाये गये जल शोधक संयत्र के आधे अधूरे निर्माण का लोकार्पण की तैयारी इन दिनों चल रही है। प्रशासन दलपतसागर सागर और इंद्रावती नदी में 10 नालों से मिल रहे हजारों लीटर गंदा पाने को जाने से रोकने के साथ ही उसे साफ करके दलपतसागर और नदी में डालने की योजना बनायी है, जिसके लिए बालीकोंटा में जल शोधक सयंत्र का निर्माण किया गया है। दलपतसागर और इंद्रावती नदी में मिल रहे गंदा पानी को बालीकोंटा तक पाईप लाईन से पहुंचने का काम चल रहा है। सरकारी जानकारी में यह भी स्पष्ट नही किया गया है कि 10 नालों मेंं से कितने नालों का पानी बालीकोंटा तक पहुंचने का काम पूरा हो गया है और कितने पर काम चल रहा है। सरकारी आंकडे के अनुसार दलपतसागर में तीन जगहों से गंदा पानी दलपतसागर में मिल रहा है जिसमें एक बालाजी मंदिर के सामने वाले नाला भी शामिल है, जहां से गंदा पानी जा रहा है उसे रोक कर बालीकोंटा तक पहुंचाने के लिए काम तो जरूर शुरू हुआ है, लेकिन इस नाले का पानी अभी भी दलपतसागर में मिल रहा है, बालीकोंटा तक इस नाले का पानी कब पहुंचेगा, इस सवाल का जवाब नही मिल सका है इसके बाद भी एसटीपी के लोकार्पण की तैयारी इस बात का संकेत हेै कि आधे अधूरे निर्माण का लोकार्पण से दलपतसागर और इंद्रावती नदी में मिल रहे गंदा पानी से मुक्ति दिलाने का प्रयास किया जा रहा है। इस आधे अधूरे निर्माण के लोकार्पण से जरूर सरकार दावा कर सकती है कि वह दलपतसागर और इंद्रावती नदी
को प्रदूषण मुक्त बना दिया है, इसके बाद भी दलपतसागर और इंद्रावती नदी को कम से कम यह मालूम है कि करोड़ो की योजना के लोकार्पण के बाद भी गंदा पानी से उन्हें मुक्ति नही मिल सकी है।