May 1, 2025

पठान पर मोदी सरकार क्यों है मौन?

फिल्म का विरोध करने वाले सिनेमाघरों को जलाने की बात कर रहे है, लेकिन मोदी सरकार से फिल्म पर रोक लगाने की मांग क्यों नही कर रहे है?

चीन की तरह ही मोदी सरकार की विवादित फिल्म पठान को लेकर साधी गई चुप्पी सवालों के घेरे में है, क्योकि एक तरफ फिल्म का विरोध करने वाले लोग खुल्ले आम धमकी दे रहे है कि जिस सिनेमा घर में यह फिल्म लगे उसे जला दिया जाये, वही दूसरी तरफ चीन गलवान घाटी के बाद अरूणाचल प्रदेश के तयांग सेक्टर में भी अतिक्रमण करने की कोशिश कर रहा है। पठान फिल्म का विरोध करने हिन्दू संगठन मोदी सरकार पर दबाव बनाने की कोशिश नही कर रहे है कि पठान फिल्म पर प्रतिबंध लगा करके मोदी सरकार भगवा के सम्मान को बचाये, और ना ही चीन के लगातार अतिक्रमण की कार्यवाही पर करार जवाब की आवाज ही बुलंद कर रहे है।
पठान फिल्म के बेशरम रंग गाने को लेकर विवाद ठीक चीनी अतिक्रमण की तरह गहराता जा रहा है, हिन्दू संगठन चीन के तयांग सेक्टर पर अतिक्रमण की कार्यवाही का विरोध करने के लिए सड़कों में नही उतरे , लेकिन पठान फिल्म को लेकर बेहद आक्रामक नजर आ रहे है, विरोध करने वालों खुल्ले आम धमकी दे रहे हे कि जिस सिनेमाघर में यह फिल्म लगेगी उसे जला दिया जाये। हिन्दुत्व की राजनीति करने वाली मोदी सरकार इस विवाद पर चीन की तरह ही चुप्पी साधे हुए है। वही दूसरी तरफ हिन्दू संगठन भी इस मामले पर मोदी सरकार से पठान फिल्म पर प्रतिबंध लगाने की मांग करने के साथ ही यह सवाल नही उठा रहे है कि मोदी सरकार के रहते हुए सेंसर बोर्ड कैैसे भगवा का अपमान करने वाले बेशरम रंग गाने का मंजूरी प्रदान किया है। राजनीतिक जानकारों का मानना है कि पठान फिल्म को लेकर मोदी सरकार दोहरा मापदंड अपनाते हुए एक तरफ दुनिया को यह संदेश देना चाहती है कि भारत में लोगो को अपनी बात कहने की आजादी है, लेकिन दूसरी तरफ हिन्दू संगठनो के साथ ही भाजपा कार्यकर्ताओं को पठान फिल्म का विरोध करने की मौन सहमति भी प्रदान कर दी है, इसलिए ही हिन्दू संगठन व विरोध करने वाले लोग मोदी सरकार से ना तो पठान फिल्म पर प्रतिबंध लगाने की मांग कर रहे है और ना ही मोदी सरकार के सेंसर बोर्ड पर ही सवाल उठा रहे है, क्योकि ऐसा करने से मोदी सरकार की इमेज को नुक्सान पहुंच सकता है। जिसके चलते वह पठान फिल्म के माध्यम से विपक्षी दलों पर निशाना साधते हुए उन्हें भगवा विरोध बताने का प्रयास कर रहे है जबकि भगवा के अपमान के लिए सीधे सीधे मोदी सरकार जिम्मेदार है, ना की विपक्ष।

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