मोदी सरकार देश की गिरती पत्रकारिता को लेकर बिलकुल भी चिंतित नही है, क्योकि गिरती पत्रकारिता ही मोदी सरकार की लोकप्रियता का सबसे बड़ा हथियार बन गई है
देश में ताकतवर मोदी सरकार होने के बाद भी भारतीय पत्रकारिता के स्तर में 2016 के बाद लगातार गिरावट दर्ज की जा रही है, लेकिन इस गिरावट को लेकर मोदी सरकार बढ़ती महंगाई की तरह बिलकुल भी चिंतित नही है, जिसके चलते कहा जा सकता है कि पत्रकारिता के स्तर पर आने वाले समय में किसी भी प्रकार की सुधार की कोई भी संभावना नही है, क्योकि देश के गोदी मीडिया की ऊर्जा को बनाये रखने के लिए मोदी सरकार प्रेम फ्रिडम की रिपोर्ट को मोदी सरकार को बदनाम करने वाली बता कर इस पूरी रिपोर्ट को आने वाले दिनों में खारिज कर देने की पूरी पूरी संभावनाएं है।
भाजपाई देश में ताकतवर मोदी सरकार तो चाहते है लेकिन ताकतवर मीडिया नही चाहते है, इसलिए प्रेम फ्रीडम की रिपोर्ट में देश की गिरती पत्रकारिता पर किसी भी प्रकार का कोई भी सवाल नही उठायेगें, बल्कि जिस तरह से विपक्ष को मोदी सरकार पर सवाल उठाने पर मोदी सरकार को बदनाम करने वाला बता देते हे उसी तरह ही संभवत: इस रिर्पोट को भी मोदी सरकार के बदनाम करने वाला बता कर इस मुद्दे को ठंडे बस्ते में डाल दिया जायेगा। उल्लेखनीय है कि प्रेस फ्रीडम 2022 की रिपोर्ट में भारत 180 देशों में 150 वें स्थान पर है। रैकिंग में गिरावट का कारण पत्रकारों के खिलाफ हिंसा और राजनीतिक रूप से पक्षपातपूर्ण मीडिया में वृद्धि होना बताया है। गौरतलब है कि भारतीय मीडिया में कोर्ट ने भी सवाल उठा चुकी है। भारत 2016 के सूचकांक में 133 वें स्थान पर था इसके बाद से लगातार रैकिंग में गिरावट होती जा रही है, लेकिन दूसरी तरफ मोदी सरकार की देश में लोकप्रियता लगातार बढ़ती जा रही है, ऐसे में सवाल तो उठाता है कि क्या मीडिया के गिरते स्तर के चलते कही मोदी सरकार की लोकप्रियता में उछाल तो नही आया है? क्योकि पिछले दिनों हुए विधानसभा चुनाव में भाजपा दिल्ली एमसीडी व हिमाचल प्रदेश का चुनाव हारने के बाद भी देश का मीडिया गुजरात में भाजपा को मिली एतिहासिक जीत के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तारीफ करने में लगा हुआ था, यह सवाल करने की हिम्मत नही जूटा सका कि जिस कांग्रेस को भाजपाई विगत साढ़े आठ सालों से भ्रष्ट, परिवारवाद व मुस्लिम हितैषी बताने के बाद कैसे हिमालच प्रदेश की जनता ने भाजपा की डबल इंजन की सरकार को हरा करके कांग्रेस को सत्ता सौंप दी?