कनाड़ा सरकार ने मोदी सरकार के विरोध के बाद भी खालिस्तान रेफरेंडम की वोटिंग के नही रोका
विश्व गुरू बनने का सपना दिखाने वाली मोदी सरकार कनाड़ा सरकार पर यह दवाब बनाने में कामयाब नही हो सकी कि खालिस्तान रेफरेंडम पर वोटिंग ना होने पाये। सवाल यह है कि मोदी सरकार के विरोध के बाद आयोजित इस रेफरेंडम के बाद मोदी सरकार ने कनाडा सरकार के खिलाफ किस तरह की जवाबी कार्यवाही की है इसका भी खुलासा नही हो सका है। गोदी मीडिया किसान आंदोलन में खालिस्तान का प्रवेश को लेकर बेदह चिंतित था लेकिन मोदी सरकार के विरोध के बाद भी कनाडा सरकार के द्वारा खालिस्तान रेफरेंडम पर वोटिंग को लेकर मौन साध लिया।
मोदी सरकार की कनाड़ा सरकार पर की जाने वाली जवाबी कार्यवाही का है इंतजार ?
केंद्र में मोदी सरकार बनने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का डंका दुनिया में बजने का वादा भाजपाई करते है लेकिन मोदी सरकार के कड़े विरोध के बाद भी कनाडा की जस्टिन टूडो की सरकार ने टोरंटो के पास ब्राम्टन में खालिस्तानी रेफरेंडम के लिए दुनिया भर से जमा हुए लगभग 10 हजार खालिस्तानी समर्थक जमाकर वोटिंग की। जिसका मकसद खालिस्तान की मांग को पुनजीर्वित करना है। सवाल यह है कि जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का दुनिया में डंका बच रहा है तो फिर कनाड़ा सरकार ने भारत विरोधी मांग पर वोटिंग कैसे होने दी? या फिर अच्छे दिनों की तरह ही दुनिया में डंका बजने की बात भी एक जूमला है, क्योकि इस वोटिंग के खिलाफ अभी तक मोदी सरकार ने कनाड़ा सरकार के खिलाफ कोई सक्त कार्यवाही भी नही की है। जबकि भाजपाई का कहना है कि मोदी सरकार दुश्मन को उसी की भाषा में जवाब देती है। गोदी मीडिया जो किसान आंदोलन में खालिस्तानी के शामिल होने की बाद देश की जनता को बताता था लेकिन कनाड़ा में खालिस्तान की मांग पर मोदी सरकार के विरोध के बाद भी वोटिंग के मामले पर मौन साध लिया।