May 1, 2025

मोदी सरकार और राफेल का जन्म जन्मांतर का रिश्ता हुआ कायम

राफेल विवाद मोदी सरकार का पीछा नही छोड़ रहा, फ्रांस में उठे सवाल

मोदी सरकार में हुए राफेल सौदे पर विपक्ष लम्बे समय से सवाल उठता रहा है, लेकिन सुरक्षा का हवाला देकर इस मामले का दफन करने की एक नयी परंपरा मोदी सरकार में विकसित की गयी। इसके बाद भी मोदी सरकार की परेशानियां कम नही हो रही है? इस बार राफेल में गोलमाल का मामला भारत में नही फ्रांस में सिर उठाया है। राफेल बनाने वाली कंपनी दसॉल्ट एविएशन ने फ्रांस की भ्रष्टाचार विरोधी शाखा को 10 लाख यूरों का कोई सही जवाब नही देने से यह मामला फिर से सुर्खियों में आ गया है। जो इस बात का प्रमाण है कि राफेल सौदें में ऐसा कुछ तो हुआ है जिस पर पर्दादारी है। भाजपा नेताओं के पूराने बयानों के अनुसार ही बगैर आग के धुंआ नही उठता है।
मोदी सरकार ने राफेल सौदे में बदलाव करने के बाद से ही विपक्ष मोदी सरकार पर भ्रष्टाचार का आरोप लगा रहा है कि राफेल की उच्च दामों में खरीदा गया है। परंतु सुरक्षा कारणों का हवाला देकर इस मामले पर पर्दा डालने का प्रयास किया, परंतु विधानसभा चुनाव के वक्त एक बार फिर राफेल डील में हुए गोलमाल को भारत में नही फ्रांस में हवा मिली है, जिससे भारतीय राजनीति में काले बादल मंडराने लगे है। रफायल पेपर्स ने अपनी रिपोर्ट में दावा किया गया है कि एक भारतीय बिचौलियों को रफायल सौदा के बदले करोड़ो रूपए दिए गये है। रिपोर्ट में बताया गया है कि भारतीय बिचौलिए को 10 लाख यूरों यानि करीब 8 करोड़ 62 लाख रूपए दिये गये है। क्योकि इन पैसों का हिसाब रफायल कंपनी की तरफ से फ्रंास की भ्रष्टाचार विरोधा शाखा के अधिकारियों को कोई सही जवाब नही गया है।
इस गोलमाल का पता तब चला जब फ्रांस कीे भ्रष्टाचार विरोधी शाखा एएफए ने दसॉल्ट के खातो का ऑडिट किया। रिपोर्ट मेें बताया गया है कि दसॉल्ड कंपनी में उक्त पैसा का इस्तेमाल रफायल लड़ाकू विमान के 50 बड़े मॉडल बनाने में खर्च होने की बात कही । लेकिन ऐसा कोई मॉडल बने ही नही, जो सवाल उठता है कि आखिर यह पैसा गया कहॉं। यह मामला फ्रांस के राजनेताओं और जस्टिस की मिलीभगत को भी दर्शाता है। फ्रांस में हुए इस नये खूलासे के बाद देश में एक बार फिर विपक्ष मोदी सरकार को राफेल गोलमाल में घेरने का प्रयास शुरू कर दिया है। गौरतलब है कि इन दिनों पश्चिम बंगाल में चुनाव चल रहे हेै। ऐसे वक्त यह रिपोर्ट आने से राफेल में हुए गोलमाल का मामला उजागर होने से कही ना कही मोदी सरकार की छवि धूमिल हुई है, क्योकि इस बार यह मामला देश की सीमाओं से बाहर उजागर हुआ है इसलिए निश्चित ही मोदी सरकार की मुश्किलें भी आने वाले दिनों में बढ़ेगी। अभी तक मोदी सरकार यह दावा कर रही थी कि उनके कार्याकाल में कोई भी दलाली नही खा रहा है लेकिन राफेल सौदें में मोदी सरकार के द्वारा किये गये बदलाव के बाद धुंआ तो उठा था लेकिन उसे दबा दिया गया लेकिन अब उसका धुआं फ्रांस में उठा है इस पर मिट्टी कैसे डाली जायेगी? यह आने वाले समय में पता चलेगा, लेकिन यह तो स्पष्ट हो गया है कि मोदी सरकार के हर संभव प्रयास के बाद भी राफेल पीछा नही छोड़ा है, निश्चित ही बोफोर्स की तरह ही मोदी सरकार के साथ राफेल सौदा जन्म जन्मांतर तक जूडा रहे।

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