संसदीय बोर्ड में 75 पार येदियुरप्पा और सत्यनारायण जटिया को लिया,, जबकि उन्हें मार्गदर्शक मंडल में डाल जाना चाहिए था
भाजपा के संस्थापक लालकृष्ण आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी को 2014 में भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने मार्गदर्शक मंडल में डाल कर ना ही संसदीय बोर्ड और ना ही चुनाव समिति का सदस्य बनाया था, लेकिन आठ सालों बाद पुन: गठित हुई समिति में 75 पार के नियम को दरकिनार करते हुए भाजपा ने येदियुरप्पा और सत्यनारायण जाटिया को संसदीय बोर्ड में जगह देकर स्पष्ट कर दिया कि मार्गदर्शक मंडल सिर्फ लालकृष्ण आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी को सक्रिय राजनीति से किनारे करने के लिए ही बनाया गया था।
नेहरू ही नही भाजपा के संस्थापक सदस्यों को भी भाजपाईयों ने किया किनारे
भाजपाई सनातन धर्म और हिन्दुत्व की राजनीति तो करते है लेकिन देश की जनता को यह बताने का साहस नही करते कि जिन लोगों ने भाजपा का गठन किया उन्हें भाजपाईयों ने सुनियोजित तरीके से मार्गदर्शक मंडल में डाल कर उनकी राजनीति खत्म करने के 75 पार वाली परंपरा को पुन: स्थापित कर दिया है। 2014 में भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने 75 पार भाजपाईयों को सक्रिय राजनीति से दूर करने के लिए मार्गदर्शक मंडल का निर्माण किया, जिसमें भाजपा के संस्थापक सदस्य लाल कृष्ण आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी को डाल कर उनकों सक्रिया राजनीति से दूर करने के लिए संसदीय बोर्ड और चुनाव समिति में भी शामिल नही किया। आठ सालों के बाद भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जे पी नड्डा ने पूर्व अध्यक्ष अमित शाह के बनाये हुए नियमों को ही दरकिनार करते हुए 75 पार कर चुके कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री बी एस येदियुरप्पा और पूर्व केंद्रीय मंत्री सत्यनारायण जटिया को संसदीय बोर्ड का सदस्य बना कर स्पष्ट कर दिया कि मार्गदर्शक मंडल का गठन सिर्फ और सिर्फ लालकृष्ण आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी को सक्रिय राजनीति से दूर करने के लिए ही किया गया था, उनके भाजपा की राजनीति से गायब होते ही पूरानी वाली व्यवस्था फिर से स्थापित हो गई है। राजनीतिक जानकारों का मानना है कि राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने अमित शाह के बनाये गये नियमों को तोडऩे से पूर्व जरूर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह से अनुमति ली होगी, क्योकि इतना बड़ा फैसला वह अपने दम पर लेगें इसकी उम्मीद किसी को भी नही है।