विदेशी निवेश रोकने के लिए लुलु मॉल में रचा गया षडयंत्र
राहुल गांधी के ट्वीट या बयानों से देश की छवि दुनिया में खराब होने को लेकर भाजपाई व गोदी मीडिया बेहद चिंतित नजर आते है लेकिन डबल इंजन वाली योगी सरकार के लुलु मॉल में जिस तरह से षडयंत्र पूर्वक हिन्दू लोगों ने नमाज अदा करके इस मुद्दे को हवा दी गई, इससे योगी सरकार के साथ ही देश की छवि पर क्या असर पड़ा है? इसकों लेकर गोदी मीडिया के साथ कोई भी भाजपाई चिंतित नजर नही आ रहा है। उत्तरप्रदेश की पुलिस जरूर इस मामले पर कार्यवाही कर रही हैे, लेकिन क्या इस षडयंत्र को रचने वालों का पर्दाफांश यूपी पुलिस कर पायेगी?
योगी सरकार के हिन्दुत्व की राजनीति पर उठ रहे सवाल?
योगी सरकार को बदनाम करने वाला कौन है?
लुलु मॉल जिसका उद्घाटन यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के द्वारा किये जाने के बाद से ही सुर्खियों में बना हुआ है, क्योकि इस मॉल के मालिक युसूफ अली है। विधानसभा चुनाव में भाजपा ने 80 बनाम 20 को राजनीतिक मुद्दा बनाया था। ऐसे हालातों में लुलु मॉल में नमाज पढऩे का वीडियों सोशल मीडिया में वायरल होने के बाद यह विवाद का गहराता तय था, हिन्दू संगठन के साथ ही करणी सेना ने भी सुंदरकांड व हनुमान चालीसा पढऩे का प्रयास किया, लेकिन पुलिस ने उन्हें मॉल के गेट के अंदर जाने नही दिया, जिसके चलते तनाव की स्थिति बनी हुई थी। पुलिस जांच में सामने आया है कि लुलु मॉल में नमाज पढऩे के पीछे एक सुनियोजित षडयंत्र था, क्योकि नमाज पढऩे की दिशा भी गलत होने के साथ ही युवकों ने मात्र 18 सेकेंड में नमाज पूरी एक नया विश्व रिकार्ड स्थापित किया जबकि एक वक्त की नमाज पढऩे में सात से आठ मिनट लगता है, इसके अलावा युवको ने मॉल से कोई भी सामान नही खरीदा जो यही संकेत दे रहा है कि युवक मॉल में सिर्फ और सिर्फ नमाज अदा करने के लिए ही गये थे। इस मामले पर पुलिस ने चार लोगों को गिरफ्तार किया है जिसमें तीन हिन्दू बताये जा रहे है। इस पूरी घटना के पीछे क्या पाकिस्तान का हाथ है या फिर विपक्षी दलों का, पुलिस को इस षडयंत्र से पर्दा उठाना चाहिए क्योकि शुरूआती तथ्यों से यही स्पष्ट हो रहा है कि गुजरात दंगों के तरह ही विपक्षी दलों ने मोदी सरकार की तर्ज पर ही योगी सरकार को बदनाम करने के लिए षडयंत्र रचा गया था, ताकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की भारत में विदेशी निवेश लाने की कोशिश कामयाब ना हो सके।