भारतीय रूपया 80 रूपये हो जाने के बाद भी अब प्रधानमंत्री की प्रतिष्ठ नही गिरती है
मोदी सरकार ने नये भारत में राष्ट्रवाद और हिन्दुत्व जैसे मुद्दो के सहारे देश में महंगाई, बेरोजगारी के मुद्दे को खत्म कर दिया है, देश की जनता को भी महंगाई और बेरोजगारी से ज्यादा हिन्दुत्व व राष्ट्रवाद के लिए चिंतित है। ऐसे समय पर डॉलर के मुकाबले रूपये की हालत पतली होना कैसे राष्ट्रीय मुद्दा बन सकता है। इसलिए डॉलर के मुकाबले रूपये सबसे निचले स्तर पर होने के बाद भी यह मुद्दा पूरी तरह से गायब है। देश इन दिनों लुलु मॉल में नमाज अदा करने के साथ ही धार्मिक भावनाओं के हालत होने वाले दूसरे मुद्दे के लिए चिंतित है। पूर्व की सरकारों ने कभी भी हिन्दुत्व व राष्ट्रवाद पर ध्यान नही दिया था जिसकी वजह से उनका विकास सही तरीके से नही हो सका था, मोदी सरकार ने महंगाई व बेरोजगारी की जगह अपना पूरा ध्यान इस पर फोकस किया है,जनता भी मोदी सरकार की इस प्रयास से संतुष्ट है इसलिए वह मंहगाई व बेरोजगारी को भूला कर नये भारत के निर्माण के लिए इन मुद्दे पर ध्यान दे रही है।
एक डॉलर 80 रूपये के बराबर होने के बाद भी विश्व गुरू बनने की संभावनाएं बरकरार है
देश में कभी प्याज महंगा होने पर सत्ता बदल जाया करती थी, लेकिन मोदी सरकार ने नये भारत के निर्माण के लिए जिस तरह से राष्ट्रीय स्मारक अशोक स्तंभ के शेर व घोड़े में बदलाव करने से साथ ही मंहगाई और बेरोजगारी के मुद्दे की जगह हिन्दुत्व व राष्ट्रवाद का नया मुद्दा पर लोगों को ध्यान आकर्षित किया। पूर्व की सरकारों ने मंहगाई व बेरोजगारी पर ध्यान फोकस करने की वजह से हिन्दुत्व व राष्ट्रवाद का मुद्दा भी डॉलर के मुकाबले रूपये की तरह पतला होता गया। मोदी सरकार ने डॉलर के मुकाबले रूपये को मजबूत करने की जगह हिन्दुत्व व राष्ट्रवाद को मजबूती के लिए देश की जनता को जागृत किया, जिसमें उन्हें काफी सफलता मिली, डॉलर के मुकाबले रूपये की सेहत खराब होने से मंहगाई भी बड़ रही है लेकिन इसकी चिंता देशवासियों को नही है, जनता चाहती है कि हिन्दुत्व व राष्ट्रवाद हर हालत में मजबूत हो। इसलिए विपक्षी दलों महंगाई व बेरोजगारी के मुद्दे पर ध्यान नही दे रही है। ताकतवर मोदी सरकार पुराने राजनीतिक मुद्दे को पूरी तरह से अपने शासनकाल में खत्म करके नये भारत का निर्माण करने में जुटी है, जहां पर महंगाई, बेरोजगारी, रूपये की गिरती हालत जैसे मुद्दे राजनीति में कभी भी सिर ना उठा सके। सत्ता में आने के लिए जरूर भाजपा ने इन्हीं मुद्दों का सहारा लिया था लेकिन सत्ता की कमान संभालने के बाद देशहित, राष्ट्रवाद व हिन्दुत्व जैसे मुद्दों से देशवासियों को अवगत कराया ताकि उनका ध्यान इसी दूसरे मुद्दों पर ना जायेे, आज एक डॉलर का मुल्य 80 रूपये हो जाने के बाद भी कोई मुद्दा नही बन पा रहा है। कांग्रेस सरकार में रूपये के गिरने पर भाजपा नेता कहते थे कि रूपये ने अपनी कीमत खोई और प्रधानमंत्री ने अपनी प्रतिष्ठा, वही कोई कहता था कि आज का रूपया भी प्रधानमंत्री की तरह गूंगा हो गया हैं, लेकिन आज रूपये एतिहासिक गिरावट के बाद भी देश में मुद्दा 2047 तक इस्लामिक राष्ट्र, बनाने के साथ ही लुलु मॉल में नमाज अदा करना शामिल है। राजनीतिक जानकारों का कहना है कि मोदी सरकार ने शानदार रणनीति के तहत देश से मंहगाई और बेरोजगारी के मुदृदे को राष्ट्रवाद व हिन्दुत्व की तरह शिफ्ट कर दिया है जिसके चलते आम जनता को रोजमर्रा की समस्याओं की तरह ध्यान ही नही जा रहा है।