May 1, 2025

भाजपा की चाल से विपक्षी चारों खाने चित

ममता बेनर्जी को भी कहना पड़ा कि आदिवासी व महिलाओं के लिए बहुत आदर है,

भाजपा ने एनडीए का प्रत्याशी आदिवासी महिला द्रौपदी मुर्मू को बना कर विपक्षी में भूचाल ला देने के साथ ही ममता बेनर्जी की मुश्किलें भी बढ़ा दी है। विपक्षी दलों की तरह से टीएमसी के नेता यशवंत सिन्हा को राष्ट्रपति का उम्मीदवार बनाये जाने के बाद भी ममता बेनर्जी का यह बयान कि अगर हमें पता होता कि वे आदिवासी महिला या अल्पसंख्यक समुदाय से किसी को उम्मीदवार बनाने वाले है तो हम इस पर विचार कर सकते थे। हमारे मन में आदिवासियों व महिलाओं के लिए बहुत आदर है, अब्दुल कलाम को लेकर हमने सहमति बनाई थी, हमारे गठबंधन में 16-17 पार्टिंयां है और मैं एकतरफा अपना कदम पीछे नही खींच सकती। बताता है कि राष्ट्रपति उम्मीदवार के माध्यम से भाजपा पश्चिम बंगाल के आदिवासी वोटों पर अपनी पकड़ मजबूत बना सकता है। जो टीएमसी के लिए नुक्सानदायक हो सकता है। राजनीतिक जानकारों का मानना है कि ममता बेनर्जी का यह बयान साफ बताता है कि एनडीए के द्वारा आदिवादी महिला द्रौपदी मुर्मू को राष्ट्रपति का उम्मीदवार बनाये जाने के बाद विपक्षी दलों में यह डर सताने लगा है कि उनके ऊपर आदिवासी विरोधी होने का ठप्पा ना भाजपा लगा दे, इसलिए ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक और आंध्रप्रदेश के मुख्यमंत्री जगनमोहन रेड्डी ने एनडीए प्रत्याशी के समर्थन की घोषणा उनके नामांकन से पहले ही कर दी ।

मोदी के मास्टर स्ट्रोक से विपक्षी एकता हुई तार तार

सर्वसम्मति का प्रयास तो किया लेकिन उम्मीदवार घोषित किये बगैर

भाजपा ने राष्ट्रपति उम्मीदवार के लिए आदिवासी महिला द्रौपदी मुर्मू को एनडीए का प्रत्याशी घोषण करके विपक्षी दलों के साथ ही राजनीतिक विश£ेषकों को स्पष्ट संदेश दे दिया कि वह राजनीतिक की चालें कितनी सोच समझ कर चलते है। भाजपा राष्ट्रपति उम्मीदवार के लिए सर्वसम्मति बनाने की कोशिश की लेकिन अपने प्रत्याशी का नाम सार्वजनिक नही किया, जबकि विपक्ष ने यशवंत सिंन्हा का नाम घोषित किया तो भाजपा ने आदिवासी महिला द्रौपदी मुर्मू को एनडीए का प्रत्याशी बना कर विपक्षी एकता को तार तार कर दिया। द्रौपदी मुर्मू ओडिशा से जूडी होने के कारण नवीन पटनायक ओडिशा विरोध के साथ ही आदिवासी विरोधी के दोहरी मार से बचने के लिए एनडीए के राष्ट्रपति प्रत्याशी के समर्थन की घोषणा करके उन्हें ओडिशा की बेटी करार दिया, इसके बाद आंध्रप्रदेश के मुख्यमंत्री जगनमोहन रेड्डी ने भी समर्थन की घोषणा कर दी। राष्ट्रपति चुनाव के लिए प्रचार के दौरान ही पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बेनर्जी को इस बात का एहसास हो गया है कि एनडीए के राष्ट्रपति उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू का विरोध करने से महिला विरोधी के साथ ही आदिवासी विरोधी का ठप्पा लग सकता है। उन्होंने कहा कि अगर हमें बीजेपी की उम्मीदवार के बारे में पहले सुझाव मिला होता तो इस पर सर्वदलीय बैठक में चर्चा कर सकते थे, बीजेपी ने हमसें संपर्क किया था लेकिन उम्मीदवार के बारे में नही बताया था। ममता बेनर्जी की टिप्पणी के बाद राष्ट्रपति चुनाव में विपक्ष में बिखराव की स्थिति बढ़ गई है, क्योकि विपक्ष के राष्ट्रपति उम्मीदवार टीएमसी के नेता यशवंत सिन्हा है। जब टीएमसी ही ऊहापोह की स्थिति में नजर आ रही थी तो अन्य पार्टियों को भी आदिवासी वोटों की चिंता बढ़ायेगी। गौरतलब है कि पश्चिम बंगाल में बीेजपी के नेता शुभेंदु अधिकारी और सुकांत मजूमदार ने ममता बेनर्जी को चिट्ठी लिख कर द्रौपदी मुर्मू के लिए समर्थन मांगा है, लेकिन उसका अधिकृत जवाब नही दिया गया है लेकिन ममता बेनर्जी का बयान काफी कुछ संदेश दे रहा है।
मुख्यमंत्री ममता बेनर्जी के इस टिप्पणी के बाद विपक्षी दल ही टीएमसी नेता ममता बेनर्जी को घेरने लगे है जो बताता है कि भाजपा ने विपक्षी एकता को तोडऩे के लिए कितना शानदार चाल चली है जो भी विरोध करेगा उस पार्टी पर आदिवासी व महिला विरोधी होने का ठप्पा भाजपा लगाने का हर संभव प्रयास करेगी जो इस हमले से बच पायेगा या तोड़ निकाल लेगा वही ही अपने आप सुरक्षित महसूस करेगा। विपक्ष के राष्ट्रपति उम्मीदवार यशंवत सिन्हा ने अभी तक बंगाल में अपना चुनाव प्रचार नही किया है, क्या ममता बेनर्जी के इस बयान के बाद पश्चिम बंगाल में चुनाव प्रचार करेगें?

द्रौपदी मुर्मू का नाम घोषित करके सर्वसम्मति बनाई जाती तो निश्चित ही सफल होती

राजनीतिक जानकारों का मानना है कि भाजपा राष्ट्रपति उम्मीदवार के लिए सर्वसम्मति बनाने का प्रयास तो किया लेकिन उम्मीदवार घोषित किये बगैर, जिसके चलते सहमति नही बन पाई। भाजपा ने इस मौके का फायदा उठाते हुए आदिवासी महिला द्रौपदी मुर्मू को राष्ट्रपति का उम्मीदवार घोषित करके आदिवासी वोटों में अपनी पकड़ बनाने के साथ ही विपक्ष को आदिवासी विरोधी बताने की रणनीति तैयार की, भाजपा की इस शानदार रणनीति का असर ही है कि राष्ट्रपति चुनाव के प्रचार के बीच ममता बेनर्जी को भी आदिवासी महिला के लिए बहुत आदर होने की बात कहनी पड़ रही है ताकि ताकि भाजपा आदिवासी विरोधी नही बता सकें।

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