नूपुर शर्मा पर टिप्पणी करने वाले जज को किया जा रहा है ट्रोल
सबका साथ सबका विकास के नारे के साथ सत्ता में आई मोदी सरकार ने आठ सालों में देश को वन वे ट्रैफिक में डाल दिया है, जिससे वापस निकलना समय के साथ और भी मुश्किल होता जा रहा है। विपक्षी दलों के द्वारा मोदी सरकार पर सवाल उठाने वालों को देशद्रोही व पाकिस्तान समर्थन बताने से मामला आगे निकल गया है। हालात यहां तक पहुंच गये है कि नूपुर शर्मा पर कड़े फैसले के बाद जस्टिस पारदीवाला को भी ट्रोल किया जा रहा है। वह भी उस वक्त जब मोदी सरकार द्वारा कतर जैसे छोटे से मुस्लिम देश के दवाब में अपनी राष्ट्रीय प्रवक्ता नूपुर शर्मा को 6 सालों के लिए पार्टी से निलंबित कर दिया है। मोदी सरकार विदेशों में इस मामले पर पल्ला झाडऩे के लिए पार्टी से निकालने का हवाला अपना बचाव कर रही है, लेकिन मोदी सरकार द्वारा नूपुर शर्मा के निलंबन के खिलाफ ट्रोल करने वाले सक्रिय नही हुए, परंतु जिस जज ने नूपुर शर्मा के बयान पर टिप्पणी की उसे ट्रोल करने लगे है।
नूपुर शर्मा के निलंबन पर चुप रहने वाले, सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर जता रहे एतराज
मोदी सरकार ने नूपुर शर्मा को निकाला, लेकिन ट्रोल सेना नही हुई सक्रिय
पूर्व भाजपा प्रवक्ता नूपुर शर्मा पर कड़ी टिप्पणी करने वाले सुप्रीम कोर्ट के जज जेबी पारदीवाला ने कहा कि आधा सच, अधूरी जानकारी रखने वाले, कानून के शासन, सबूत और न्यायिक प्रक्रिया को ना समझने वाले हावी हो गए है। ऐसे में सोशल मीडिया को रेगुलेट करने पर विचार करना चाहिए। लोकप्रिय जन भावनाओं के ऊपर कानून का शासन की प्रधानता पर जोर देते हुए उन्होंने कहा कि एक ओर बहुसख्यक आबादी के इरादे को संतुलित करना और मांग पूरा करना तथा दूसरी ओर कानून के शासन की पृष्टि करना कठिन काम है। उन्होंने सोशल मीडिया के जरिए न्यायिक प्रक्रिया को अनुचित हस्तक्षेप करार देते हुए देश की संसद को सोशल मीडिया पर लगाम लगानी चाहिए।
80 बनाम 20 प्रतिशत की राजनीति में कानून का कैसे रख पायेगें राजनीतिक दल ध्यान
वर्तमान में राजनीतिक दल सुनियोजित तरीके से बहुसंख्यक बनाम अल्पसंख्यक की राजनीति खुलेआम करके राजनीतिक फायदा उठाया जा रहा है। राजनीतिक सभाओं में भी 80 प्रतिशत बनाम 20 प्रतिशत का नारा देकर कही ना कही धु्रवीकरण की राजनीति को ऊर्जा मिल रही है, जिसके चलते सुप्रीम कोर्ट के जज जेबी पारदीवाला को भी ट्रोल सेना ने ट्रोल करने ने नही छोड़ा, वह भी तब जब मोदी सरकार भी मान रही है कि नूपुर शर्मा का बयान गलत है, अपना पल्ला झाडऩे के लिए शरारती तत्वों का बयान तक बताया, लेकिन ट्रोल सेना मोदी सरकार के इस निर्णय पर सक्रिय नही हुई, लेकिन सुप्रीम कोर्ट के टिप्पणी पर सक्रिय होना बताता है कि देश धु्रवीकरण की राजनीति में तेजी से आगे बढ़ रहा है, जिसमें कानून की जगह सिर्फ जनता की जनभावनाओं को ध्यान रखने का प्रयास किया जा रहा है, क्योकि चुनाव जीतने के लिए जरूरी है कि जनभावनाओं का ख्याल रखे राजनीतिक दल कानून की जगह ।