नवीन पटनायक के बाद जगमोहन रेड्डी ने भी एनडीए प्रत्याशी द्रोपदी मुर्मू के समर्थन की घोषणा की
राष्ट्रपति के लिए एनडीए ने आदिवासी महिला द्रोपदी मुर्मू को उम्मीदवार बनाकर विपक्षी एकता में सेंधमारी करने में कामयाब रही। राष्ट्रपति प्रत्याशी द्रोपदी मुर्मू ओडिशा की होने की वजह से नवीन पटनायक को समर्थन करना पड़ा, अन्यथा आगामी विधानसभा चुनाव में भाजपा इसे एक बड़ा मुदृदा बनाकर ओडिशा की सत्ता तक ना पहुंच जाये। इसके बाद अब आंध्रप्रदेश के मुख्यमंत्री जगमोहन रेड्डी भी एनडीए प्रत्याशी का समर्थन करके आदिवासी व महिला वोट बैंक में भाजपा की सेंधमारी की कोशिश को फेल करने की कोशिश की है। राजनीतिक जानकारों का कहना है कि मोदी सरकार राष्ट्रपति चुनाव के माध्यम से आदिवासी व महिला वोटों को अपने पक्ष में करने की जो रणनीति बनायी है उसमें श्रेत्रीय दल नतमस्तक होने को मजबूर दिख रहे है।
भाजपा की रणनीति पर पानी फिरा पानी
चुनाव के पहले ही विपक्ष राष्ट्रपति चुनाव हारने के साथ ही भाजपा को दिया एक बड़ा चुनावी मुद्दा
विपक्ष राष्ट्रपति चुनाव के माध्यम से अपनी ताकत का एहसास भाजपा को कराना चाहती थी, जिसके चलते विपक्ष ने यशंवत सिन्हा को राष्ट्रपति का उम्मीदवार तो बनाया, लेकिन एनडीए ने राष्ट्रपति चुनाव में ओडिशा की आदिवासी नेता द्रोपदी मुर्मू को खड़ा करके विपक्षी एकता को तार तार कर दिया है। ओडिशा की सत्ता में पहुंचाने के लिए भाजपा ने ओडिशा से राष्ट्रपति उम्मीदवार खड़ा करके नवीन पटनायक के लिए मुश्किलें खड़ी करने की कोशिश की, अनुभवी राजनीतिज्ञ होने के नाते नवीन पटनायक भाजपा की इस चाल का तोड़ निकालते हुए उन्होंने द्रोपदी मुर्मू को ओडिशा की बेटी बताते हुए विभानसभा के सभी विधायकों को समर्थन देने की अपील की। इसके बाद आंध्रप्रदेश के मुख्यमंत्री जगमोहन रेड्डी भी भाजपा की राष्ट्रपति के माध्यम से आंध्रप्रदेश में महिला व आदिवासी की उपेक्षा के मुद्दे को भाजपा हवा ना दे सके इसलिए उन्होंने भी एनडीए प्रत्याशी का समर्थन करने का फैसला करके विपक्ष एकता को तार तार कर दिया है। वाईएसआरसीपी ने अपने बयान में कहा है कि स्वतंत्र भारत के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है कि किसी आदिवासी और महिला को देश का सर्वोच्च पद के लिए नामित किया गया है,यह एक सराहनीय कदम हे और इसी को ध्यान में रखते हुए पार्टी ने मुर्मू को समर्थन देने का फैसला लिया है।
राजनीतिक जानकारों का कहना है कि विपक्ष राष्ट्रपति चुनाव के माध्यम से अपनी ताकत दिखाने का जो फैसला लिया था, मोदी सरकार ने द्रोपदी मुर्मू को राष्ट्रपति का प्रत्याशी बना कर उनकी एकता को तोडऩे में सफल हो गये है। द्रोपदी मुर्मू, यशवंत सिन्हा के तुलना में कम चर्चित नाम होने के बाद भी राजनीतिक समीकरण में भारी पड़ती दिखाई दे रही है। जिसके चलते श्रेत्रीय दल अपना राजनीतिक हित देखते हुए पाला बदलने लगे है।