May 1, 2025

अग्रिवीरों की चिंतित नजर आने वाले पत्रकार ने सरकार के मंथन पर सवाल नही उठाया

योजना की घोषणा के बाद ही बदलाव क्यों होने लगते है, यह सवाल सुशांत सिन्हा से सरकार से क्यों नही पूछा

मोदी सरकार द्वारा किसान बिल वापस लेने पर सवाल उठाने वाले पत्रकार सुशांत सिन्हा का कहना है कि अग्रिवीर स्कीम को लेकर नाराजगी समझ आ सकती है, लेकिन यह समझ से परे है कि आगजनी करने वाले खुद को फौज में जाने के योग्य कैसे मानते है? चर्चा कीजिए, विरोध कीजिए लेकिन आगजनी कीजिएगा तो आपका ही रिकॉर्ड खराब होगा और मौका मिला तो भी फौज में नही जा पांएगें। जिस तरह से अग्रिपथ योजना के बाद देश के विभिन्न हिस्सों में सरकारी सपंत्ति को नुक्सान पहुंचाया गया उस पर पत्रकार सुशांत सिन्हा ने सवाल उठाया जो जायज भी है लेकिन उन्होंने अग्रिपथ योजना की घोषणा के बाद जिस तरह से सरकार ने योजना में बदलाव शुरू किया और नाराज छात्रों को यह विश्वास दिलाने का प्रयास किया कि उनके लिए और भी रास्ते खुले है, इस पर सुशांत सिन्हा ने मोदी सरकार ने सवाल नही किया कि मोदी सरकार जब दावा कर रही है कि इस योजना को जल्दबांजी में नही बहुत मंथन करने के बाद लाया गया है तो फिर योजना के घोषणा के बाद क्यों बदलाव करने की जरूरत पड़ गयी, जब करोड़ों रूपये की सरकारी संपत्ति नष्ट हो गयी तो मोदी सरकार को अपनी गलती का एहसास हुआ और उसमें बदलाव करनेे का फैसला करके नाराजगी को दूर करने की कोििशश की। जबकि यह पहला मामला नही है जब मोदी सरकार ने योजना लॉच करने के बाद बदलाव की शुरूआत की है, इसके पूर्व नोटबंदी के दौरान भी नोटबंदी के घोषणा के दूसरे दिन से ही नियमों में बदलाव शुरू हो गये थे, जीएसटी लाने के बाद भी बदलाव की प्रक्रिया शुरू हो गयी यहां तक कि किसान बिल में भी किसान आंदोलन के बाद सरकार बदलाव की बात कहने लगी, जो बताता है कि मोदी सरकार बगैर किसी मंथन के योजना लॉच कर देती है जब विरोध होता है तो उसमें बदलाव की बात करके मामले को रफा दफा करने का प्रयास करती है जैसे अग्रिपथ योजना की घोषणा के बाद दो साल की उम्र बढ़ाने के साथ ही अग्रिवीरों को गृह और रक्षा मंत्रालय में 10 10 प्रतिशत कोटा निर्धारित करने के साथ ही अन्य राज्य सरकार भी अग्रिवीरों को नौकरी का वादा करके विरोध के शांत करने की कोशिश कर रही है। पत्रकार सुशांत सिन्हा छात्रों की गलतियों केा लेकर चिंतित नजर आ रहे है लेकिन मोदी सरकार की गलतियों को लेकर चिंतित नही दिखाई दे रहे है, अन्यथा मोदी सरकार से सवाल पूछते कि अगर अग्रिपथ योजना को लेकर लम्बे समय तक मंथन किये जाने का जो दावा सरकार कर रही है तो फिर योजना के घोषणा के बाद बदलाव करने की जरूरत क्यों पड़ गयी, छात्रों के सड़क में हिसंक प्रदर्शन करने के बाद सरकार को पता लगा कि योजना में कुछ गलतियां है उसे सुधारने की जरूरत है। या जानबुझ कर सरकार ने यह गलती की कि छात्र सड़कों पर हिंसक प्रदर्शन करने को मजबूर हो उसके बाद ही गलतियों को सुधारेगें?

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