तनानपूर्ण स्थिति में भी महंत ने अपने मन की बात सार्वजनिक की
मोदी सरकार हिन्दुओं को एकजूट करने में लगी है लेकिन वाराणसी के महंत ही एकजूट नजर नही आने से ज्ञानवापी मस्जिद में सर्वे में मिले शिवलिंग को मुस्लिम पक्षकारों की तरह ही काशी विश्वनाथ मंदिर के ठीक पीछे स्थित काशी करवत मंदिर के महंत पंडित गणेश शंकर उपाध्याय का कहना है कि सर्वे में जो शिवलिंग जैसी आकृति मिली है वो शिवलिंग नही, बल्कि फुव्वारा ही है। मंहत गणेश शंकर उपाध्याय का बयान साफ करता है कि मोदी और योगी सरकार के अथक प्रयासों के बाद भी हिन्दू ज्ञानवापी मस्जिद में लिए शिवलिंग को लेकर एक नही है। राजनीतिक जानकारों का कहना है कि महंत के बयान से कही ना कही मुस्लिम पक्ष को बल मिला है, साथ ही धु्रवीकरण की राजनीति कमजोर होती दिखाई दे रही है।
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महंत भी एकजूट नही है शिवलिंग मामले पर
भाजपा नेता हिन्दू एकजूटता का नारा लगाने के बाद भी वाराणसी में भी हिन्दुओं को एकजूट नही कर पाये है अन्यथा ज्ञानवापी मस्जिद में सर्वे पर मिले शिवलिंग को लेकर काशी विश्वनाथ मंदिर के ठीक पीछे स्थित करवत मंदिर के महंत गणेश शंकर उपाध्याय शिवलिंग पर सवाल नही उठाते। अगर वह शिवलिंग की सच्चाई जानते भी होते तो वर्तमान हालातों में उन्हें प्राचीन सनातन संस्कृति को बचाने के लिए चुप्पी साधे रहने चाहिए था, क्योकि मध्यप्रदेश में मुसलमान होने के शक पर जैनी बुजुर्ग को पीट पीट कर मार दिये जाने पर भी जैन समाज इस मामले पर विरोध करने का साहस नही जूटा सका, जो बताता है कि वर्तमान हालात कितने भयावह है। ऐसे हालातों में जब भाजपा नेताओं के साथ ही शत प्रतिशत हिन्दू शिवलिंग मार रहा है, ऐसे में महंत गणेश शंकर उपाध्याय का यह दावा किया कि सर्वे में मिला शिवलिंग नही बल्कि फुव्वारा है। जिससे हिन्दुओं की आस्था के साथ ही सर्वे पर भी और गहरा गया है। मंहत गणेश शंकर उपाध्याय ने दावा किया कि वह पिछले 50 सालों से फव्वारे को देखते आ रहे हैं लेकिन उन्होंने कभी भी चालू नही देखा था। उन्होने कहा कि ये संरचना कई लोगों को शिवलिंग की तरह लग सकती है, लेकिन मेरी जानकारी के अनुसार यह एक फव्वारा है, इस फव्वारे को मैंने बचपन से देखा है। उन्होंने बताया कि कई बार संरचना को बहुत करीब से देखने के साथ ही मस्जिद के कार्यकर्ताओं और मौलवियों के साथ बातचीत भी की है, उन्होनेंं बताया कि फव्वारा मुगल काल का है साथ ही बताया कि जो वीडियों दिखाया जा रहा है उसमें कुछ सफाईकर्मी दिख रहे हैं, चूकि फोटो ऊपर से लिया गया है उमसें नीचे दिख रही आकृति शिवलिंग जैसी लग रही हैं। नंदी के मौजूदगी के सवाल पर गणेश शंकर उपाध्याय ने जरूर कहा कि यह तो कटु सत्य है कि वहां मंदिर था और मुगल शासन में उसे तोड़कर उस पर मस्जिद बनाया गया था, पीछे अभी भी कुछ भाग बचा हुआ है, साथ ही उन्होंने बताया कि जिसे तहखाना बताया जा रहा है वह वास्तव में तहखाना नही हैँ।
महंत गणेश शंकर उपाध्याय के शिवलिंग पर किये गये नये खुलासे से कही ना कही मुस्लिम पक्ष को मजबूती मिली है क्योकि मुस्लिम पक्ष भी उसे फुव्वारा ही बता रहा है। इस मामले पर कोर्ट का क्या निर्णय आता है? इस पर सभी की नजर है लेकिन मोदी सरकार के द्वारा हिन्दुओ को एकजूट करने की जो कोशिश विगत आठ सालों हो रही है, उस पर जरूर सवाल मंहत गणेश शंकर उपाध्याय के बयान ने उठा दिया है, क्योकि जैन समाज निर्देश बुजुर्ग की मुसलमान होने के शंका पर मारे जाने का विरोध नही कर सकी लेकिन मंहत उपाध्याय ने शिवलिंग को फुव्वारा बता कर निश्चित ही वर्तमान स्थिति में एक बेहद ही साहसिक काम किया है।