दक्षिण भारत में भाजपा को घेरने के लिए क्या हिन्दी भाषा पर की जा रही है विवादित टिप्पणी ?
हिन्दी राष्ट्रभाषा नही है, कन्नड़ अभिनेता किच्चा संदीप से शुरू हुआ विवाद का विस्तार जारी है। मोदी सरकार इस मामले पर अभी तक कोई प्रतिक्रिया नही आने से सवाल गहरा रहा है कि क्या मोदी सरकार भी नही चाहती है कि एक देश एक राष्ट्रभाषा हो। राजनीतिक जानकारों का मानना है कि धर्म की राजनीति करने वाली भाजपा देश में भाषा की विविधता को मंजूरी देती दिखाई दे रही है, हिन्दी भाषा को लेकर हो रही टिप्पणी पर मौन साधे होने के कारण यह विवाद थमता दिखाई नही दे रहा है। तमिलनाडु के उच्च शिक्षा मंत्री पोनमुडी ने हिन्दी को लेकर कहा कि कोयंबटूर में हिंदी बोलने वाले पानी पूरी बेच रहे है, इसके बाद भी मोदी सरकार मौन है।
अजय देवगन की नई पारी शुरू होने से पहले ही खत्म हुई
राष्ट्रभाषा विवाद पर मोदी सरकार मौन
मोदी सरकार भी नही चाहती है कि एक देश एक राष्ट्रभाषा हो
भाजपा हिन्दी बैल्ट में धर्म की राजनीति करके शानदार सफलता प्राप्त की है। राजनीतिक जानकारों का कहना है कि दक्षिण भारत में भाजपा के विस्तार को रेाकने के लिए धर्म की जगह भाषा विवाद को हवा देकर क्षेत्रीय दल भाजपा को घेरने की कोशिश कर रहे है, इसमें वह कितने सफल होते है यह तो आने वाले समय में ही पता लगेगा। कन्नड फिल्म के अभिनेता किच्चा संदीप और अजय देवगन के बीच हिन्दी राष्ट्रभाषा को लेकर शुरू हुआ विवाद गहराता ही जा रहा है। विवादित बयानों देने के लिए चर्चित अभिनेत्री कंगना राणावत ने भी हिन्दी को क्षेत्रीय भाषा बताने के साथ ही सभी भाषाओं का सम्मान करने की सलाह देकर कही ना कही यह संकेत दिया कि मोदी सरकार भी भाषा विवाद पर नही पडऩा चाहती है। हिन्दी भाषा को लेकर चल रही विवाद में मोदी सरकार पूरी तरह से बैकफूट में होने के चलते राजनीतिक दल भी इस विवाद का हिस्सा बन कर कही ना कही मोदी सरकार को घेरने की कोशिश कर रहे है। इसी कड़ी में तमिलनाडृ के उच्च शिक्षा मंत्री पोनमूडी ने कहा कि एक भाषा के रूप में हिन्दी की तुलना में अंग्रेजी अधिक मूल्यवान है, हिन्दी बोलने वाले कोयंबटूर में पानी पूरी बेच रहे है। हिन्दी को लेकर अभी तक के सबसे तल्ख बयान के बाद भी मोदी सरकार भाषा विवाद से अपने आपकों अलग रख कर देश की जनता को यह संदेश देने का प्रयास कर रही है कि वह भाषा विवाद से दूर रहना चाहती हैै। एक देश एक कानून, एक देश एक राशन कार्ड का नारा देने वाली मोदी सरकार एक देश एक राष्ट्रभाषा के सिद्धांत को डस्टबीन में डाल दिया है। इसलिए वह हिन्दी भाषा पर हो रहे हमले पर चुप है। राजनीतिक पंडितों का कहना है कि भाषा विवाद में फंस कर भाजपा दक्षिण भारत में सत्ता पर काबिज होने के सपने को खत्म नही करना चाहती है, इसलिए वह इससे अपने आप को दूर रखना चाहती है, वही दूसरी तरफ विपक्षी दल लगातार हिन्दी को लेकर विवादित बयान देकर कही ना कही मोदी सरकार को इस मामले पर बयान देने का मजबूत कर रही है, क्योकि मोदी सरकार की हिन्दी क्षेत्र में भाजपा की जबरदस्त पकड़ के कारण वह हिन्दी भाषा के अपमान पर एक सीमा से आगे चुप नही रह सकेगी, अन्यथा मोदी सरकार हिन्दी क्षेत्र में सवाल उठने लगेंगे। राजनीतिक जानकारों का कहना है कि भाजपा की धर्म की राजनीति का जवाब देने के लिए दक्षिण भारत में भाषा विवाद को हवा दी है, दक्षिण भारत में शुरू हुआ धर्म व भाषा विवाद में किसका पलड़ा भारी पड़ता है यह तो आने वाले समय में ही पता चलेगा।