उत्तराखंड में बगावत की कमान कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत ने संभाली
यूपी के बाद ताकतवर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह के रहते उत्ताखंड में भी भाजपा के अंदर बगावत के स्वर कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत के नेतृत्व में बुलंद हुए। भाजपा ने बगावती तेवर को देखते हुए उन्हें जरूर पार्टी से 6 साल के लिए बर्खास्त कर दिया है। लेकिन अहम सवाल यह है कि भाजपा आलाकमान की पार्टी में पकड़ पप्पू की तरह कुछ ही सालों में कमजोर कैसे हो गई?
भाजपा नेता कांग्रेसी नेताओं के पलायन को पार्टी में गांधी परिवार की कमजोर पकड़ से जोड़ते थे, और गोदी मीडिया भी गांधी परिवार को इसके लिए जिम्मेदार बता कर जनता को यह समझाने की कोशिश करता था कि कांग्रेस पार्टी के अंदर कितनी खींचतान है। इसी क्रम में हरक सिंह रावत भी 2016 में कांग्रेस छोड़ कर भाजपा में शामिल हुए थे, लेकिन पांच साल में उनका मोह डबल इंजन सरकार में भंग हो गया, इसके बाद भी गोदी मीडिया इस पलायन को लेकर भाजपा नेतृत्व पर सवाल नहीं उठायेगा? हरक सिंह रावत के साथ ही भाजपा के चार और विधायकों के कांग्रेस में शामिल होने की संभावना है।
मंत्री हरक सिंह रावत भी यूपी के मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य की तरह राजनीतिक मौसम विज्ञानी माने जाते हैं, इसकी तस्दीक उत्तराखंड का सियासी इतिहास भी करता है। मोदी सरकार आने के बाद ऐसा पहली बार हो रहा है कि चुनाव के पूर्व भाजपा छोड़ रहे है, बंगाल में विधानसभा चुनाव हारने के बाद पलायन शुरु हुआ है। गोवा में भी मंत्री माइकल लोबो के साथ एक भाजपा विधायक ने पार्टी छोड़ कर कांग्रेस में शामिल हो गये हैं।