बिहार में एनडीए के सहयोगी यूपी में भाजपा के खिलाफ लड़ेगें चुनाव
यूपी में भाजपा नेताओं के साथ ही बिहार में एनडीए के सबसे बड़े पार्टनर जदयू भी भाजपा को आंख दिखने लग गयी है। हम और वीआईपी पार्टी की तर्ज पर वह भी यूपी में अपनी किस्मत आजमाना चाहती है। क्या भाजपा और जदयू के बीच सीटों का बँटवारा के बीच समझौता हो पायेगा? क्योकि जदयू अकेले भी चुनाव में उतरने की घोषणा कर चुकी है। यूपी में एनडीए के साथियो के अलग अलग लडऩे से भाजपा की स्थिति ही खराब होगी क्योकि भाजपा को जनता हित से ज्यादा सत्ता हित की चिंता है।
बिहार में एनडीए में शामिल हम और वीआईपी पार्टी यूपी में भाजपा के खिलाफ चुनाव लडऩे की रणनीति पहले ही बना रही है, वही जदयू को भी यूपी में उचित सीट नही मिलने पर अलग से चुनाव लडऩे की बात जदयू के प्रधान महासचिव के सी त्यागी कहा चुके है उनका कहना है कि जदयू यूपी में भाजपा के साथ मिलकर चुनाव लडऩा चाहती है लेकिन सीटों के समझौते में तालमेल नही बना तो जदयू अकेली भी चुनाव लडऩे की तैयारी में हैं। जिस तरह से यूपी विधानसभा चुनाव में बिहार के एनडीए के साथी भाजपा के खिलाफ मोर्चा खोले हुए है वह स्पष्ट करता है कि बिहार एनडीए में सब कुछ ठीक ठाक नही चल रहा है। बंगाल में भाजपा बगावत के बाद जिस तरह से यूपी में भाजपा के अंदर बगावत हुई है उसके बाद तो एनडीए के साथियो को बगावत करने की खुल्ली छूट मिल गयी है।
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बंगाल के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पकड़ कमजोर होती जा रही है एनडीए व पार्टी दोनों में
यूपी विधानसभा की घोषणा के बाद भाजपा के अंदर चल रहे घमासान के सार्वजनिक होने के साथ ही एनडीए के अंदर चल रही खींतचान को भी सड़क पर ला दिया है। बिहार में एनडीए के साथ हम पार्टी के नेता जीतनराम मांझी ने यूपी चुनाव में भाजपा के अलग चुनाव लडऩे की बात कह चुके है, इसके बाद वीआईपी पार्टी के मुकेश साहनी भी राज्य में 165 सीट पर चुनाव लडऩे की घोषणा करके स्पष्ट कर दिया कि एनडीए में भी मोदी सरकार की पकड़ कमजोर हो गयी है। यूपी में जिस तरह से भाजपा के अंदर भगदड़ मची, उसे देखते हुए जदयू ने भी यूपी में भाजपा को आंख दिखाने का राजनीतिक मौका नही छोड़ा। जदयू भी यूपी में सीट बंटवारे के लिए भाजपा पर दवाब बनाने की कोशिश कर रही है। सीट बंटवारे को लेकर जदयू और भाजपा के बीच एक दो दिनों में बैठक होने की अनुमान लगाया जा रहा है। जदयू नेता के सी त्यागी पहले ही कह चुके है कि यूपी में पार्टी भाजपा के साथ मिल कर लडऩा चाहती है, लेकिन ऐसा नही हुआ तो पार्टी अकेले ही चुनाव लड़ेगी। जिस तरह से यूपी में भाजपा के अंदर बगावत के स्वर बुलंद हो रहे है उसी तरह ही एनडीए के अंदर भी बगावत के स्वर का बुलंद होना बताता है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पकड़ बंगाल चुनाव के बाद लगातार कमजोर होती जा रही है। राजनीतिक जानकारों का मानना है पंाच राज्यों के विधानसभा चुनाव प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इमेज के लिए भी बहुत महत्वपूर्ण है, अगर भाजपा को हार मिलती है तो मोदी सरकार की इमेज और भी खराब हो जायेगी।