चुनाव आयोग राजनीतिक पार्टियों द्वारा वर्चुअल रैली पर जोर देने पर यह बात सामने आयी
उत्तराखंड में डबल इंजन की सरकार होने के बाद भी भाजपा शासित उत्तरांखड में डिजीटल क्रांति का नही आ सकी है। देश के सभी गंावों में बिजली नही पहुंचा पाने के लिए कांग्रेस को जिम्मेदार बताने वाली भाजपा मोदी सरकार के साढ़े सात सालों में व पांच सालों में डबल इंजन की सरकार के बाद भी चीन सीमा से लगे गंगोत्री विधानसभा में सौ से ज्यादा गांव ऐसे है, जहां पर अभी तक नेटवर्क नही है। मोदी सरकार एक तरफ सुरक्षा की दृष्टि से सीमा पर सड़क निर्माण को जरूरत बता रही है लेकिन चीन सीमा से लगे गांवो में नेटवर्क क्यों नही पहुंच पाने पर भाजपा नेता मौन साधे हुए है।
चुनाव आयोग के द्वारा 15 जनवरी तक जनसभाओं मेंं रोक लगा रखी है, कोरोना के बढ़ते मामले को देखते हुए इसके बढऩे की संभावनाएं भी बनी हुई है। चुनाव आयोग वर्चअल प्रसार की जरूर छूट दे रखी है लेकिन सवाल यह है कि उत्तराखंड के एक हजार गांव ऐसे है जहां पर नेटवर्क ना के बराबर है। जिसने राजनीतिक पार्टियों की मुश्किलेें को बढ़ा दिया है, क्योकि राजनीतिक दल यहंा पर वर्चुअल माध्यम से भी अपना प्रचार नही कर सकते है। चुनाव आयोग के द्वारा वर्चुअल प्रचार पर जोर देने से यह खुलासा सामने आया है कि मोदी सरकार की डिजीटल क्रांति की हवा भाजपा शासित उत्तराखंड में ही दम तोड़ रही है। चीन से लगे गंगोत्री विधानसभा के लगभग सौ गांवो में जहां नेटवर्क नही होने की बात सामने आयी हेै, वही दूसरी तरफ राज्य में एक हजार से ज्यादा गांवो में नेटवर्क नही है कि जो भाजपा कांग्रेस को 70 सालों में देश के सभी गांवो में बिजली नही पहुंंचा पाने का आरोप लगाती है, लेकिलन डिजीटल युग में भी डबल इंजन की सरकार होने के बाद भी उत्तराखंड के सभी गांवों में नेटवर्क नही पहुंचा सकी है। डिजीटल इंडिया कांग्रेस की नही मोदी सरकार की महत्वकांक्षी योजना है, जिसे मोदी और उत्तराखंड सरकार मिलकर भी पूरा करने में असफल साबित हुए वह भी छोटे से उत्तरांखड राज्य में। तो देश के सभी गांवों में नेटवर्क की बात करना बेमानी होगा।