13 दौर की बातचीत असफल होने के बाद भी 14 वें दौर की बातचीत मोदी सरकार कर रही है चीन से
पंजाब दौरे के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सुरक्षा में चूक मामले पर देश में जम कर राजनीति हो रही है, फ्लाईओवर में 20 मिनट प्रधानमंत्री के जाम में फंसने के दौरान उनके साथ क्या क्या घटित हो सकता था, इसका अनुमान भाजपा नेताओं द्वारा अपने अपने हिसाब से लगा कर देश की जनता को बताया जा रहा है। दूसरी तरफ लद्दाख की सीमा पर चीन द्वारा अपै्रल 2020 में अतिक्रमण किये जाने के विवाद पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मोदी सरकार पूरी तरह से मौन साधे हुए है। देश की जनता को यह नही बताने का प्रयास कर रही है कि अगर चीन लद्दाख से पीछे नही गया तो भविष्य में क्या क्या हो सकता है, मोदी सरकार की इसी कमजोरी का फायदा उठाते हुए अरूणाचल प्रदेश में एक बार फिर 15 जगहों पर नाम बदल दिया है। 12 जनवरी को भारतीय व चीन सैनिकों के बीच 14 वें दौर की बातचीत फिर होने वाली है, लेकिन इसका कोई परिणाम निकलेगा इसकी उम्मीद बहुत ही कम है क्योकि चीन किसी भी कीमत पर पीछे हटने का तैयार नही है, और मोदी सरकार चीन को बातचीत के माध्यम से पीछे करने में लगी हुई है। भाजपाईयों का यह नारा की दुश्मन को उसी की भाषा में जवाब देगें, तो क्या चीन भारत का दोस्त है जो उसकों उसी की भाषा में जवाब देने से मोदी सरकार डर रही है।
अरूणाचल प्रदेश में 15 जगहों के नाम बदलने के साथ ही गलवान घाटी में चीन सैनिकों द्वारा झंडा फहराये जाने के दावे के बीच वास्तविक नियंत्रण रेखा में गतिरोध को खत्म करने के लिए 14 वें चरण की बातचीत दोनों देशों की सेना के वरिष्ठ कमांडरों के बीच 12 जनवरी हो होगी। गौरतलब है कि पिछले 21 महीने से पूर्वी लद्दाख के एलएसी पर दोनों देशों की सैनिक आमने- सामने है। हॉट स्प्रिंग, गोगरा और देपसंाग को लेकर अभी भी दोनो पक्षों में विवाद बना हुआ है। इस मामले पर पंजाब में हुई सुरक्षा की चूक की तरह भाजपा के द्वारा राजनीति नही किया जाना आम जनता के बीच चर्चा का विषय बना हुआ है, क्योकि भाजपाई फ्लाईओवर में 20 मिनट पीएम के जाम में फंसने के द्वारा क्या क्या घटित हो सकता था इसके लेकर बेहद चिंतित नजर आये, लेकिन चीन द्वारा लद्दाख व अरूणाचल प्रदेश में भारतीय सीमा पर अतिक्रमण के मामले पर प्रधानमंत्री मोदी द्वारा वैसी गंभीरता नही दिखाई गयी, जबकि यह देश से सीमाओं से जूडा मामला है। मोदी सरकार की पाकिस्तान के मामले पर जिस तरह की स्पष्ट नीति है वैसी रणनीति चीन के मामले पर नही होने के कारण 21 महीने से खाली कराने के लिए बातचीत ही चल रही है।