May 1, 2025

बैकुंठपुर वाली गलती बीरगांव में नही दोहरायी कांग्रेस ने

निर्दलीयों को अपने पाले में करके भाजपाई को सपनों पर पानी फेर दिया
जोगी कांग्रेस  भाजपा की बी टीम बन गयी है। बीरगांव नगरनिगम चुनाव मेें जोगी कांग्रेस ने भाजपा के साथ गठबंधन बना कर चुनाव लड़ कर बैकुंठपुर की तरह कोई अप्रत्याशित परिणाम की उम्मीद लगायी थी, लेकिन दूध का जला छाछ भी फूंक फूंक कर पीता है। कांग्रेस ने बैकुंठपुर वाली गलती से सबक लेते हुए बीरगांव नगर निगम में कांग्रेस को एकजूट रखने के साथ ही निर्दलीय पार्षदों को अपनी पाले में करके महापौर के चुनाव में कांग्रेस के नंदलाल देवांगन ने भाजपा के प्रत्याशी पतिराम साहू  को 10 वोट से हरा कर महापौर के पद पर कब्जा किया।
वैकुंठपुर में कांग्रेस की अंदरूनी खींचतान के चलते भाजपा का नगर पालिका अध्यक्ष बनाने से उत्साही भाजपा ने बीरगांव में जोगी कांग्रेस के साथ गठबंधन करके चुनाव लड़ा। बीरगांव नगरनिगम चुनाव में भाजपा को 10 सीट और जोगी कांग्रेस को 5 सीट मिली थी, वही कांग्रेस को 19 और 6 निर्दलीय प्रत्याशी चुनाव जीते थे। बीरगांव नगर निगम का पूरा दारोमदार  निर्दलीय प्रत्याशियों पर ही ही ठीका  था।  कांग्रेस से बैकुंठपुर से सबक लेते हुए बीरगांव में सभी निर्दलीय प्रत्याशी को अपने पाले में करके आसानी से बीरगांव नगर निगम पर कब्जा कर लिया। कांग्रेस ने विधायक सत्यनारायण शर्मा के करीबी नंद लाल को महापौर का प्रत्याशी बनाया जबकि भाजपा ने पतिराम को प्रत्याशी बनाया।  नंदलाल को 25 वोट मिले , जो यही संदेश दे रहा है कि पूरी कांग्रेस एकजूट के साथ ही निर्दलीय भी सभी कांग्रेस के साथ खड़े रहे,  वही दूसरी तरफ भाजपा और जोगी कांग्रेस के कुल 15 वोट भाजपा प्रत्याशी को मिले। क्रांस वोटिंग ही भाजपा को टक्कर में ला सकती थी, परंतु कांग्रेस की चाक चौबंध राणनीति के चलते ऐसा कुछ नही हुआ। यह जरूर है कि चुनाव के पूर्व भाजपा नेताओं द्वारा बड़े बड़े दावे किये गये थे कि चमत्कारी परिणाम आयेगा।

जोगी कांग्रेस  भाजपा की बी टीम बन गयी है

राज्य में तीसरी ताकत बनने का प्रयास कर रही जोगी कांग्रेस भाजपा की बी टीम बनती दिखाई दे रही है, बीरगांव नगरनिगम चुनाव में भाजपा के साथ खड़े होकर कांग्रेस को मौका दे दिया है कि उसे भाजपा की बी टीम करार दें। राजनीतिक जानकारों का मानना है कि बीरगांव नगरनिगम की राजनीतिक समीकरण को देखते हुए ही जोगी कांगे्रस को भाजपा के साथ गठबंधन करना था, लेकिन कांग्रेस के विरोध करने के चक्कर में भाजपा के गोद में बैठ जाना भी राजनीति दृष्टि से सही कदम नही करार दिया जा सकता है।

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