नोटबंदी की तरह कश्मीर नीति भी हुई फेल
उत्तर प्रदेश विधान सभा चुनाव के पूर्व मोदी सरकार द्वारा जम्मू कश्मीर में धारा 370 हटाने के बाद भी कश्मीर घाटी में एक भी बाहरी व्यक्ति द्वारा प्लांट नहीं खरीदे जाने की बात सांसद में गृह मंत्रालय के द्वारा दिये जाने से सवाल गहराने लगा है कि नोट बंदी की तरह क्या धारा 370 हटाने की रणनीति भी फेल हो गई है ? क्योंकि धारा 370 हटाने के बाद भी कश्मीर में हत्या और पलायन को मोदी सरकार नही रोक पाई है । राजनीतिक जानकारों का कहना है कि उत्तर प्रदेश विधान सभा चुनाव के पूर्व गृह मंत्रालय का बयान स्पष्ट कर रहा है कि भाजपा कश्मीर में धारा 370 को हटाने का राजनीतिक लाभ लेने की कोशिश नहीं करेगी, क्योंकि मोदी सरकार में जब लोग कश्मीर में जमीन खरीदने के लिए सामने नहीं आये तो दूसरी सरकार में कैसे साहस कर पायेगें? जिसे अभी तक भाजपाई इसे एक उपलब्धि के तौर पर ही पेश करते रहे है।
उत्तर प्रदेश चुनाव के पूर्व घट रही घटनाएं मोदी और योगी सरकार की मुश्किलें बढ़ाने वाली साबित हो रही है, जम्मू कश्मीर में धारा 370 हटाने के बाद बड़े बड़े वादे किये गये थे, लेकिन धरातल में नोटबंदी की तरह ही असफल साबित होते दिखाई दे रहे है, कश्मीर में हिंसक घटनाओं का सिलसिला जारी होने के साथ विगत दिनों आंतकवादियों द्वारा कश्मीर पंडितों को निशाना बनाने के कारण 1990 के बाद फिर कश्मीर पंडित कश्मीर छोड़ने को मजबूर हो रहे हैं। जिससे कही ना कही मोदी सरकार की ताकतवर इमेज को भारी नुक्सान पहुंचा है, जिसका असर यूपी चुनाव पर पड़ने की पूरी संभावना है। चीन भी भारत में अतिक्रमण मोदी सरकार में किया, इसकी पुष्टि अमेरिकी संस्था पैंटागन ने भी की है कि अरूणाचल प्रदेश में भारतीय सीमा के अंदर चीन में इमारत बनाई है, इसके बाद भी मोदी सरकार चीन को लाल आंखे दिखाने की जगह पाकिस्तान को लाल आंख दिखा रही है, यह बात देश की जनता को समझ नही आ रही है। सीडीएस बिपिन रावत ने भी चीन को दुश्मन नंबर एक बताया था, लेकिन मोदी सरकार पाकिस्तान को ही अपना दुश्मन नंबर वन मान कर चल रही है।
मोदी सरकार नोटबंदी की तरह ही धारा 370 को हटाने के पूर्व जो जमीनी तैयारी करने की जरूरत थी वह नहीं करने के कारण ढ़ाई साल बाद मोदी सरकार की कश्मीर रणनीति पर सवाल उठ रहे हैं कि मोदी सरकार लोगों का विश्वास जीतने में क्यों असफल हुई, क्योंकि मोदी सरकार में कश्मीर में लोगों द्वारा जमीन नहीं खरीदना बताता है कि हालात सामान्य नहीं है, जैसा सरकार कागजों के माध्यम से बताने की कोशिश कर रही है।