19 विधायकों में सिर्फ चार बजे, उनके जाने का खतरा भी मंडरा रहा
बहुजन समाज पार्टी के आठ बड़े नेताओं ने 2017 की विधानसभा चुनाव के पूर्व पार्टी छोड़ी थी जिसमें अधिकांश भाजपा में गये थे, जिसका फायदा भाजपा को मिला और प्रदेश में पूर्ण बहुमत की सरकार बनी, लेकिन इस बार बसपा के नेता चुनावी बेला में भाजपा के साथ ही साथ सपा में भी जाने से आगामी विधानसभा चुनाव में भाजपा और सपा के बीच बेहद रोमांचक मुकाबले की उम्मीद लगायी जा रही है। राजनीतिक जानकारों का मानना है कि बसपा नेत्री मायावती की मोदी सरकार की करीबियों के चलते भी आगामी विधानसभा चुनाव में प्रदेश की जनता बसपा को वोट देने की जगह भाजपा को वोट की संभावना थी क्योकि चुनाव के बाद बसपा के भाजपा में शामिल होने की पूरी उम्मीद थी। इसलिए मायावती के हर संभव प्रयास के बाद भी नेताओं का पलायन नही रूक पा रहा है। जिला पंचायत के चुनाव में बसपा ने पंचायत का चुनाव तो लड़ा लेकिन जिला अध्यक्ष के चुनाव लडऩे से इंकार कर दिया ताकि भाजपा का रास्ता साफ हो जाये।
उत्तरप्रदेश का विधानसभा बंगाल चुनाव की तर्ज पर ही भाजपा और सपा के बीच सिमटता दिखाई दे रहा है। आम आदमी पार्टी भी उत्तरप्रदेश में सपा के साथ हाथ मिलती दिखाई दे रही है। वही बसपा और कांग्रेस के टूटने का सिलसिला भी नही रूक रहा है। राजनाीतिक पंडितों का अनुमान है कि बसपा नेत्री मायावती की भाजपा की करीबियों के चलते ही चुनाव के वक्त पार्टी में बगावत तेज हो गयी है, क्योकि मायावती को जिस तरह से योगी सरकार व मोदी सरकार को कठघरे में खड़ा करना चाहिए था नही कर सकी,, जबकि पंचायत चुनाव में भाजपा को लाभ पहुंचाने के लिए जिला अध्यक्ष का चुनाव लडऩे से ही इंकार कर दिया। जिसके चलते बसपा नेताओं को इस बात का एहसास हो गया कि अपना राजनीति जारी रखनी है तो पार्टी छोडऩी ही पड़ेगी, जिसके चलते पार्टी में पलायन की शुरूआत होने के बाद उसमें अभी तक लगाम नही लग पायी है। बहजन समाज पार्टी के विधायक गुड्डू जमाली और वंदना सिंह ने पार्टी छोड़ दी, वंदना सिंह ने भाजपा ज्वांइन कर ली है लेकिन गुड्डू जमाली ने अभी क्लीयर नही किया है कि वह किस पार्टी में जायेगें। राजनीतिक जानकारों का कहना है कि उत्तरप्रदेश में बसपा कभी तीसरी ताकत हुआ करती थी लेकिन अब वह कांग्रेस व अपना दल से भी छोटी हो गयी है। आगामी विधानसभा चुनाव में बसपा नेत्री मायावती जरूर उत्तरप्रदेश की सभी सीटों पर चुनाव लडऩे का दावा तो कर रही है लेकिन जिस तरह से बसपा नेताओं का पलायन हुआ है वह स्पष्ट करता है कि बसपा सिर्फ वोट कांटने वाली पार्टी स्पष्ट नीतियों के आभाव में वोट काटने वाली पार्टी में तब्दिल हो गयी है।
बहुत देर हो गयी है
बसपा नेत्री मायावती को विधानसभा चुनाव सिर पर होने पर इस बात का एहसास हुआ कि कानून व्यवस्था के मामले पर भाजपा सपा के नक्शेकदम पर चल रही है? मायावती ने यूपी के प्रयागराज में दबंगों के द्वारा दलित परिवार को चार लोगों की निर्मम हत्या का शर्मनाक बताते हुए कहा कि ऐसा लगता है कि भाजपा भी अब सपा सरकार के ही नक्शेकदम पर चल रही है।
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