क्या नक्सलियों के सांठगांठ के बगैर नक्सली क्षेत्रों में हो रहा है विकास कार्य, इंजीनियर के अपहरण की घटना से उठे सवाल
नक्सलियों ने सब इंजीनियर अजय लाकड़ा की रिहाई निशर्त की है साथ ही उसके माध्यम से यह संदेश भी भेजा है कि क्षेत्र में रहे चले सड़क व पुल पुलियो के निर्माण कार्यो बंद करने के साथ ही पुलिस कैंप भी बंद करने की मांग की है। सरकार नक्सलियों की सब इंजीनियर के माध्यम से भेजी गयी मांगों पर क्या निर्णय लेती है इसका खूलासा आने वाले समय ही होगा। इस अपहरण की घटना से यह सवाल भी उठने लगा है कि ठेकेदार बगैर किसी समस्या के काम कर रहा था लेकिन काम की जांच करने वाले इंजीनियर का नक्सलियों ने अपहरण कर लिया? ठेकेदार क्या बगैर नक्सली सहयोग के सड़क निर्माण का काम कर रहा था।
नक्सलियों द्वारा एक हफ्ता पूर्व पीएमजीएसवॉय के दो कर्मचारियों का अपहरण किया, भृत्य लक्ष्मण को अगले दिन ही छोड़ दिया लेकिन सब इंजीनियर को सात दिनों तक बंधक बना कर प्रशासन को कही ना कही नक्सलियों ने बैकफुट में ला दिया, जिसके चलते संब इंजीनियर की रिहाई ही सरकार के लिए सबसे अहम हो गयी। राजनीतिक जानकारों का मानना है कि नक्सलियों ने जरूर निशर्त सब इंजीनियर अजय लाकड़ा को छोड़ दिया लेकिन सड़क पुल पुलिया नही बनाने के साथ ही कैंप बंद करने का जो संदेश सब इंजीनियर के माध्यम से भेजा है यह स्पष्ट करता है कि नक्सली क्षेत्रों में आने वाले दिनों में बगैर सुरक्षा बलों के मौजूदगी के बगैर सड़क व पुल पुलिया निर्माण की उम्मीद कम ही है। वही दूसरी तरफ यह सवाल भी गहराने लगा है कि ठेकेदार द्वारा बगैर किसी व्यवधान के सड़क निर्माण का कार्य किया जा रहा था जिसका अवलोकन करने गये सब इंजीनियर का अपहरण हो गया? अगर नक्सलियों को सड़क पुल पुलिया निर्माण से समस्या थी तो वह ठेकेदार के मजदूरों को भी परेशान कर सकते थे या अपहरण कर सकते थे, लेकिन ऐसा ना करके पीएमजीएसवॉय के कर्मचारियों को अपहरण करके सड़क व पुल पुलिया निर्माण पर रोक लगाने की बात कही है। यह घटना एक बार फिर हर किसी को सोचने पर मजबूर कर रही है कि नक्सली क्षेत्रों में ठेकेदार क्या बगैर नक्सली सांठगांठ के काम कर रहे है? और नक्सली सरकारी कर्मचारियों को निशाना बना रहे है?