सवाल उठाने वाले वरीष्ठ कांग्रेसी नेताओं का भी चुनाव जीता कर मुंहतोड़ जवाब दे सकती है।
गांधी परिवार के लिए पंजाब चुनाव सबसे अहम बन गया है
कांग्रेस आलाकमान ने जब से पंजाब में संगठन की कमान नवाजोद सिंह सिद्धू को सौंपी थी उसके बाद से पंजाब की शांत राजनीति में भूचाल आ गया जिसकी परिणीति मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह को इस्तीफा से खत्म होने की उम्मीद थी लेकिन नये मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी के मंंत्रिमंडल गठन के बाद प्रदेशाध्यक्ष नवजोद सिंह सिद्धू के इस्तीफा देने के बाद फिर से राजनीति गर्मा गयी, साथ ही कांग्रेस के वरीष्ठ नेताओं ने ेपंजाब की राजनीति हालातों के लिए गांधी परिवार को जिम्मेदार बताया जाने लगें। पंजाब विधानसभा चुनाव से पूर्व किसे गये इस बदलाव को सही साबित करने के लिए जरूरी है कि आगामी विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को जीत दिलायें। पंजाब में सत्ता वापसी करके गांधी परिवार द्वारा किये गये बदलाव सही साबित हो जायेगें वही वरीष्ठ कांग्रेसी नेताओं को भी यह संदेश दे सकती है कि पार्टी के लिए काम करने की जगह गांधी परिवार को निशाना बनाना सही नही है, इससे भाजपा ही मजबूत होती है। गौरतलब है कि पार्टी की इस गिरावट के लिए गांधी परिवार को वही लोग निशाना बना रहे है जो सत्ता की मलाई के दौरान गांधी परिवार से जूड़े हुए थे, अगर सत्ता में रहते उन्होंने बेहत्तर काम किया जाता तो ना ही वह चुनाव हारते और ना ही पार्टी की यह दुर्दशा होती। आज जब कांग्रेस के दिन अच्छे नही है तो भाजपा की तरह ही गांधी परिवार को निशाना बना रहे है। लम्बे समय के बाद पंजाब में कांग्रेस की बदली राजनीति ने कुछ कड़े संदेश देनें में जरूर सफल हुई थी लेकिन नवजोद सिंह सिद्धू के इस्तीफे के बाद गांधी परिवार के फैसले पर हर कोई सवाल उठाने का मौका मिल गया है। आगामी विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के पास सिर्फ पंजाब में अपनी सरकार को बचाने की जिम्मेदारी है। गांधी परिवार विधानसभा चुनाव से पूर्व किये गये इस बदलाव के बाद भी अगर पंजाब में कांग्रेस फिर से सत्ता बचाने में सफल हो गयी तो निश्चित ही गांधी परिवार की गिरती साख फिर से वापस आ सकती है। अन्यथा सवाल और भी गहरायेगें।
भाजपा दौड़ में ही नही है पंजाब में
पूर्व मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह के कांग्रेस छोडऩे के फैसले से निश्चित ही कांगे्रस को नुक्सान होगा, लेकिन पंजाब में कृषि बिल के खिलाफ जारी आंदोलन के कारण भाजपा सत्ता की दौड़ में चुनाव से पहले ही बाहर है, पंजाब में कांग्रेस का मुकाबला अकालीदल और आम आदमी पार्टी से है। अकाली दल भाजपा का लम्बे समय तक हिस्सा रहने के कारण जनता उन पर कितना भरोसा करेगी यह अहम सवाल है, वही आम आदमी पार्टी को पिछले चुनाव में भी बहुत मजबूत बताया गया था लेकिन कोई उल्लेखनीय सफलता नही दर्ज कर पाया। राजनीतिक जानकारों का मानना था कि अमरिंदर सिंह को भाजपा में शामिल करके सत्ता की दौड़ में शामिल हो सकती थी लेकिन अमरिंदर सिंह के भाजपा में जाने से मना करके उनके सपने को तोड़ दिया है। किसान आदोलन का समाधान निकालने के लिए भाजपा अमरिंदर सिंह का सहारा लेने की कोशिश कर रही है ताकि कोई बीच का रास्ता निकल सके। सवाल यह है कि 11 महीने से जारी आंदोलन कृषि बिल को वापसी पर ही खत्म होने की बात कही जा रही है क्या इसमें कोई आने वाले समय में बदलावा किसान नेता करेगें।