May 1, 2025

पाकिस्तान व चीन का नाम नही लिया प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में

मजबूत प्रधानमंत्री होने के बाद भी इशारों को सहारा लेना पड़ा
घर में घूस कर मारने वाले, नाम लेेने से भी बचते नजर आये

लोकसभा व विधानसभा चुनावों में पाकिस्तान के नाम का उपयोग भाजपा नेता खूल कर करते है लेकिन संयुक्त राष्ट्र महासभा के संबोधन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का आतंकवाद व विस्तारवाद पर दमदार भाषण तो दिया लेकिन पाकिस्तान व चीन का नाम नही लिया। जिसपर उनके पार्टी के ही सांसद सुब्रमण्यम स्वामी सवाल उठा रहे है बड़े मंच से इन देशों का नाम लेने में शर्म कैसी?
बंगाल विधानसभा चुनाव में पाकिस्तान का नाम चुनाव प्रचार में बहुत गूंजा, उत्तरप्रदेश के विधानसभा चुनाव में भाजपा के चुनाव प्रचार में पाकिस्तान व तालिबान के छाये रहने की पूरी उम्मीद है, इसके बाद भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा दुनिया के सबसे बड़े मंच संयुक्त राष्ट्र महासभा में पाकिस्तान व चीन का नाम लिये बगैर ही आतंकवाद व विस्तारवाद पर भाषण राजनीतिक हल्कों मेंं भी चर्चा का विषय बन गया कि देश में चुनाव जीतने के लिए पाकिस्तान का नाम पर भाजपा को कोई परहेज नही लेकिन दुनिया के सबसे बड़े मंच पर नाम लेने से परहेज, यह दोहरी नीति नही है तो क्या है? राजनीतिक जानकारों का कहना है कि भारत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में तेजी से विश्व गुरू बनने की तरह बढ़ रहा है ऐसे शानदार अवसर पर भी अहम मंचों में भारत को परेशान करने वाले देशों का नाम लेने से क्यो परहेज किया जा रहा हैै, पाकिस्तान कश्मीर में आतंकवाद फैला रही है वही चीन लद्दाख सहित अन्य क्षेत्रों में विस्तारवादी नीति के तहत अवैध कब्जा करने में लगा हुआ है, यह बात पूरी तरह से सार्वजनिक होने के बाद भी इशारे का सहारा लेना हमारी कमजोरी को दर्शाता है। क्या देश की मोदी सरकार इतनी कमजोर है जो भारत को परेशान करने वाले देशों का नाम तक नही ले पा रही है। भाजपा के वरीष्ठ सांसद सुब्रमण्यम स्वामी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा बड़े मंच में पाकिस्तान व चीन का नाम नही लेने पर निशारा हुई और अपनी नाराजगी ट्वीट के माध्यम से जाहिर करते हुए कहा कि बड़े मंच में इन देशों का नाम लेने में शर्म कैसी? जिस तरह से भाजपा के वरीष्ठ संासद सुब्रमण्यम स्वामी को नाम नही लेने पर निराशा हुई उसी तरह ही देश की जनता भी निराश हुई, कि देश के सबसे मजबूत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अपनी बात रखने में इशारों का सहारा लेना पड़ा, जबकि यह बात खूल करके भी कही जा सकती है।

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