ऑटो में 16 लोगो को भेंड बकरियोंं के तरह ठूसा जाना बताता है कि बस्तर में यातायात नियम की हालत क्या है
दुनिया में कही भी ऑटो में 16 लोगों को ठूस कर नही भरा जाता होगा लेकिन अद्भूत बस्तर में यह आम बात हो गयी है। जो साबित करता है कि नक्सली मामले पर बेहद चौकस आने वाली पुलिस ओवर लोड ऑटो के इस अनोखे कारनामों से पूरी तरह से अंजान है, जिसकी वजह से राष्ट्रीय राजमार्ग 30 में बोरगांव के पास स्कार्पियों और ऑटो की टक्कर में नौ लोगों की मौत हो गयी। राजनीतिक जानकारों का मानना है कि नक्सली वारदात मेें अगर इतने लोगों की मौत होती तो राज्य सरकार से लेकर केंद्र सरकार तक में बैठकों का दौर शुरू हो गया होता, इस भीषण सड़क हादसें के बाद भविष्य में इस तरह के हादसे ना हो इसके लिए भी कोई रणनीति बनाने की जरूरत नही समझी गयी।
बस्तर में नक्सली घटनाओं से ज्यादा सड़क हादसों में लोगों की मौत होने के बाद भी सरकार नक्सलियों पर लगाम लगाने के लिए ग्रामीणों के विरोध के बाद भी पुलिस कैंप खोल रही है, ताकि नक्सलियों पर लगाम लगाया जा सके, लेकिन यातायात नियमों का कढ़ाई से पालन हो सके इसके लिए राष्ट्रीय राजमार्ग में भी कैंप खोलने पर विचार अभी तक नही किया गया है। जबकि आये दिनों सड़क हादसों मेें बड़ी संख्या में लोगों अपनी जान गवां रहे है। स्कार्पियों और ऑटो की टक्कर में ऑटो में सवाल 9 लोगों की मौत व 7 लोगों का घायल होना इस बात का प्रमाण है कि यातायात नियमों की बस्तर में खूल्ले आम धज्जियां उड़ाई जा रही है, छोटे वाहनों में क्षमता से कई गुना ज्यादा सवारी भरी जा रही है। सवाल यह है कि क्या पुलिस व प्रशासन को इस बात की जानकारी नही है? पुलिस को नक्सलियों की खुफिया जानकारी मिल जाती है, यातायात नियमों का उल्लंघन करने वाले के बारे में कोई जानकारी क्यो नही मिलती, जिसकी वजह से बेखौफ ओवर लोड वाहनें सड़कों में धूम रही है। नक्सलियों के खिलाफ मोर्चा खोलने वाली पुलिस यातायात नियमों का पालन करने में पूरी तरह से असफल होने के कारण ही ऑटो जैसे वाहनों में भेंड बकरी की तरह 16 लोगों को ठूसा जा रहा है। हर सड़क हादसा यातायात के नियमों की लापरवाहियों का कहानी बयंा करता है इसके बाद भी राज्य सरकार द्वारा नक्सलियों की तर्ज पर ही यातायात नियमों का पालन कराने के लिएका दबाव बढ़ाने के लिए कोई रणनीति नही बनाती है।