हीराखंड एक्सप्रेस के नयी कोच के स्वागत कार्यक्रम ने लोगों को पूराने दिनों की याद ताजा कर दी
देश की तरह ही बस्तर में समय के साथ राजनीति में बदलाव किस तरह आता है इसका जीता जागता उदाहरण हीराखंड एक्सप्रेस में लगी गयी नई कोच के उदघाटन के असवर पर दिखा, जिसमें कांग्रेसी नेताओं ने हिस्सा लिया लेकिन हीराखंड एक्सप्रेस को जगदलपुर आने की लड़ाई लडऩे वाले कांग्रेसी इस पूरे मामले से पूरी तरह से गायब थे। वही भाजपा नेताओं ने भी हीराखंड एक्सप्रेस के नये डब्बों का श्रेय लेने की हर संभव कोशिश की। सवाल यह है कि 11 साल पहले जब कांग्रेस ने जिला अध्यक्ष उमाशंकर शुक्ल के नेत्त्व में अपनी केंद्र सरकार के खिलाफ ही बस्तर में एक्सप्रेस सेवा शुरू करने की मांग को लेकर अनिश्चिकालीन आंदोलन किया था, जिसके दबाव में रेल विभाग को कोरापुट से भुनेश्वर के बीच चलने वाली एक्सप्रेस ट्रेन का विस्तार जगदलपुर तक करना पड़ा था, जिस दिन हीराखंड एक्सप्रेस बस्तर आयी रेल्वे स्टेशन में बड़ी संख्या में लोग ट्रेन को देखने के लिए भी पहुंचे थे। उस वक्त नई कोच को झंडी दिखाने वाले कांग्रेसी नेता भी राजनीति में सक्रिय थे लेकिन वह इस आंदोलन का हिस्सा नही बने, ऐसा क्यो यह सवाल आज भी आंदोलन के जूडे लोगों के दिलों में कसक रहा है। 11 साल के लम्बे अंतराल के बाद जब हीराखंड एक्सप्रेस नये कोच के साथ बस्तर आयी तो एक बार फिर खुशी का माहौल जरूर निर्मित करने का प्रयास किया गया, राज्य में कांग्रेस की सत्ता होने के बाद भी बस्तर में एक्सप्रेस की लड़ाई लडऩे वाले कांग्रेसियों का इस पूरे मामले पर गायब दिखाना यह संकेत दे रहा है कि समय के साथ राजनीति भी बदलती है, जो कल हिराखंड एक्सप्रेस लाने की लड़ाई लडऩे में सबसे आगे थे आज वह आखरी पंक्ति में भी नजर नही आ रहे है। गौरतलब है कि कांग्रेस के इस सफल आंदोलन के बाद भाजपा ने भी बस्तर में रेल सुविधाओं के विस्तार के लिए अनिश्चिकालीन आंदोलन किया जिसके चलते सम्लेश्वरी एक्सप्रेस का जगदलपुर तक विस्तार होने के साथ ही जगदलपुर दुर्ग नयी एक्सप्रेस ट्रेन मिली, लेकिन जगदलपुर दुर्ग एक्सप्रेस ट्रेन मोदी सरकार में बगैर किसी विरोध के आसानी से अनिश्चिकाल के लिए बंद कर दी गयी है।