May 1, 2025

किराया बढऩे के बाद नेता, पैसेंजर सेवा की लड़ाई लड़ेगें?

दक्षिण बस्तर में रेल लाईन होने के बाद भी पैसेंजर सेवा का लाभ बस्तरवासियों को नही मिल रहा
नेताओं को जनता से ज्यादा बस संचालकों के लिए चिंतित है

राज्य सरकार ने बस किराये में 25 प्रतिशत वृद्धि करके रोड़ सफर को और मंहगा कर दिया है, इसके बाद भी बस्तर के जनप्रतिनिधि जगदलपुर से किरंदुल के बीच पैसेंजर सेवा शुरू करने की कोई भी लड़ाई लडऩे का साहस नही दिखायेगें? जनप्रतिनिधि जो जनता की समस्याओं का निराकरण का वादा करते है, कम से कम बस्तर के जिस क्षेत्र में रेल लाईन मौजूद है वहां के लोगों को ही पैसेंजर सेवा उपलब्ध करा करके कुछ राहत दिलाने का प्रयास करें। ज्ञात हो कि राजधानी रायपुर मेें सभी दिशाओं के लिए रेल सुविधा होने के बाद भी पैसेंजर सेवा का संचालन इस बात का प्रमाण है कि उक्त क्षेत्र के जनप्रतिनिधियों को अपने क्षेत्र की जनता के सस्ते परिवहन की चिंता है लेकिन बस्तर में दशकों से लौह अयस्क का परिवहन जारी है इसके बाद भी बस्तरवासियों को अभी तक संभाग मुख्यालय से दक्षिण बस्तर को जोडऩे के लिए कोई भी पैसेंजर सेवा नही शुरू हो सकी है, जबकि नगरनार प्लांट का निर्माण तथा बैलाडिला में खनन का कार्य एनएमडीसी कर रही है। गौरतलब है कि राज्य सरकार के द्वारा 25 प्रतिशत किराया बढ़ा देने से जगदलपुर से दंतेवाड़ा के बीच का 85 किलोमीटर का किराया लगभग ढेड़ सौ रूपये के आसपास हो जायेगा, निश्चित ही इस बड़े किराये का बोझ जनता को ही भुगतना पड़ेगा, नेता व राजनीतिक दल पैसेंजर सेवा शुरू करके आम जनता को राहत दिला सकती है और बस्तरवासी कम किराये पर दक्षिण बस्तर का सफर कर सकते है लेकिन विकास की चिंता में दूबले हो रहे नेताओं को पैसेंजर सेवा शुरू करने की कोई लड़ाई नही लड़ी गयी है। जबकि सर्व विदित है कि पैसेंजर सेवा का सीधा लाभ आम जनता को मिलता है लेकिन शायद बस्तर के नेताओं को आम जनता से ज्यादा बस संचालकों की चिंता है इसलिए सात दशकों के बाद भी जगदलपुर रेल मार्ग से ना सीधे रायपुर से जूड पाया है और ना ही जगदलपुर से दक्षिण बस्तर के लिए कोई पैसेंजर सेवा ही शुरू हो सके। वर्तमान में सुबह के वक्त ही किरंदुल से विशाखापट्नम जाने वाली पैसेंजर के अतिरिक्त कोई सुविधा नही है, इस ट्रेन में आम जनता तोकापाल बाजार करने के लिए दंतेवाड़ा जिले से आती है, लेकिन सुबह के वक्त जगदलपुर से किरंदुल जाने के लिए कोई सुविधा नही है। जिसकी जरूर लम्बे समय से महसूस की जा रही है, किराया बढऩे के बाद भी अगर जन प्रतिनिधि इस दिशा में ध्यान नही देते है तो स्पष्ट होता है कि नेताओं को बस्तर की जनता से ज्यादा बस संचालकों की चिंता है।

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