May 1, 2025

बढ़ती महंगाई के बीच संसद कार्यवाही में 133 करोड़ बर्बाद हुए

पारदर्शिता के नाम पर बनने वाली सरकारें सत्ता में आने के बाद गोपनीयता पर विश्वास क्यो करने लगती है?
हर मुद्दे को कांग्रेस व भाजपा का कलेवर चढ़ा दिया जाता है, किसान आंदोलन में इससे अछूता नही रहा

लोकतंत्र के सबसे बड़ा मंदिर सांसद सत्ता पक्ष और विपक्ष की मनमानियों के चलते नही चल पा रहा है, मानसून सत्र पूरी तरह से पेगासस जासूसी मामले की भेंट चढ़ता दिखाई दे रहा है। कांग्रेसी नेताओं का कहना है कि मोदी सरकार पेगासस जासूसी मामले पर कुछ सवालों के जवाब दे तो सांसद चलने लगेगी, सवाल यह है कि मोदी सरकार को पेगासस जासूसी मामले पर जवाब देने से कयों भाग रही है, अगर मोदी सरकार ने कुछ गलत नही किया है तो देश की जनता को बताने में क्या हर्ज है, सत्ता में मोदी सरकार है इसलिए उनकी सदन चलाने की जिम्मेदारी ज्यादा है। जिस तरह से मोदी सरकार पेगासस मामले पर संसद में जवाब देने से किनारा कर रही है उससे यही लगता है कि मोदी सरकार पेगासस का जवाब देने से अच्छा संसद में हो रही आम जनता के पैसों की बर्बादी को मान नही है। लोकतंत्र में जनता से सरकारें क्यों छिपाती है यह ऐसा सवाल है जिसका जवाब सात दशकों के बाद भी नही मिल सका है, जबकि हर राजनीतिक दल पारदर्शिता का वादा सत्ता में आने के पूर्व करता है। वही राजनीति में एक नयी परंपरा शुरू हो गई है कि हर मामले को सत्ता पक्ष और विपक्ष में बदल कर मामले को भटका दिया जाता है, जबकि जनता सत्ता का परिवर्तन बेहत्तर सरकार के लिए करती है लेकिन ऐसा ना होकर भाजपा और कांग्रेस व अन्य राजनीतिक दलों के इतिहास खंगाल कर एक दूसरे की गलतियों को बता कर जनता को गुमराह करने में किया जा रहा है। कांग्रेस व भाजपा के आरोप प्रत्यारोप के बीच आम जनता की समस्याएं दम तोड़ रही है। एक तरफ देश की जनता महंगाई से परेशान है वही दूसरी तरफ संसद में गतिरोध के चलते जनता के 133 करोड़ रूपये बर्बाद हो गये है संसद निर्धारित 107 घंटे में अभी तक सिर्फ 18 घंटे ही काम हुआ है इसका जिम्मेदार कौन है इस पर सस्पेसं कायम रहेगा, क्योकि सत्तारूढ दल को अपने हितों की चिंता है और विपक्ष को अपने हितों की।

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