कोरोना की मौत की रिपोर्ट को भी जासूसी कॉड की तरह खारिज किया मोदी सरकार ने
संसद में ऑक्सीजन की कमी से कोरोना की दूसरी लहर में किसी की भी मौत नही होने तथा कोरोना से हुई मौतों के आंकड़े को लेकर सवाल उठाने से मोदी सरकार की इमेज देश व दुनिया में बेहत्तर बनी है या खराब हुई है, यह ऐसा सवाल है जिसकों लेकर आम जनता के बीच भी समीक्षा होने लगी है, क्योकि कोरोना की मौत के आंकड़ो केा लेकर मीडिया में सवाल उठाये जा रहे थे अब अमेरिकी शोध समूह की रिपोर्ट भी कोरोना से मौत की आंकड़े पर सवाल उठाते हुए बताया है कि मौत का आंकड़ा बताये गये आंकड़ से 10 गूना ज्यादा है। मोदी सरकार जिस तरह से आँक्सीजन की देश की किसी की मौत की बात नही मान रही है उसी तरह ही अमेरिकी समूह की रिपोर्ट को भी पूरी तरह से गलत बता रही है। सवाल यह है कि मोदी सरकार के द्वारा कोरोना मामले पर जिस तरह से अपनी पीठ थपथपाने की कोशिश की जा रही है जबकि कोरेाना की दूसरी लहर में देश में भारी तबाही मचाई जिसके चलते दो दशक के बाद भारत सरकार को विदेशी मदद के लिए हाथ फैलाने को मजबूर होना पड़ा। वही जासूसी कांड पर भी मोदी सरकार पल्ला झाडऩे की कोशिश कर रही है कि उनका इस जासूसी से कोई लेना देना नही है जबकि फ्रांस सरकार इस जासूसी मामले की जंाच करा रही है। सवाल यह है कि हर मामले को सिरे से खारिज करने की जो परंपरा मोदी सरकार के दौरान जोर पकड़ रही है उससे क्या मोदी सरकार की इमेज दुनिया में बढ़ रही है या कम हो रही है।