नेताओं और अधिकारियों को देना चाहिए इसका जवाब, क्योकि उन्हें बस्तर में प्रतिभाओं की कमी नही दिखाई देती है
नेताओं और अधिकारियों को बस्तर में खेल प्रतिभाओंं की कमी नजर नही आती है, लेकिन ओलंपिक में हिस्सा लेने गये 127 दल में छत्तीसगढ़ के खिलाड़ी को मौका नही मिला है तो बस्तर के खिलाडिय़ों को मौका मिलने की बात करना बेमानी होगी। बस्तर से भविष्य में कब और किस खेल प्रतिभा को ओलंपिक या एशियाड़ में खेलने का मौका मिलेगा यह ऐसा सवाल है जिसका जवाब किसी के पास नही है।
बस्तर के नेता और अधिकारी चीख चीख कर खिलाडिय़ों को बताते है कि बस्तर में खेल प्रतिभाओं की कोई कमी नही है इसके बाद भी स्वतंत्रता के सात दशक बाद भी बस्तर के खिलाडी एशियाड़ व ओलंपिक में देश का प्रतिनिधित्व करने का मौका नही मिला है। टोक्यों में होने वाले ओलंपिक में देश के 127 खिलाडिय़ों के दल में छत्तीसगढ़ को मौका नही मिला तो बस्तर के खिलाडिय़ों को कैसे मिल सकता है? अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एशियाड व ओलंपिक में ही खेल प्रतिभाओं का सही आंकलन का मंच है, लेकिन छत्तीसगढ़ निर्माण के दो दशक बाद भी ना छत्तीसगढ़़ और ना ही बस्तर खेलों में अपनी पहचान बना पाने में कामयाब हो सके है, जो साबित करता है कि खेलों के विकास के मामले पर छत्तीसगढ़ बहुत पिछड़ा हुआ है। सवाल यह है कि नेताओं और अधिकारियों को किस मापदंड के आधार पर बस्तर में खेल प्रतिभा नजर आती है, फिर यह प्रतिभाएं राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर क्यो नही अपनी पहचान बना पा रहे है इसका जवाब में नेताओं व अधिकारियों को बस्तर के खिलाडिय़ों को देना चाहिए, क्योकि अगर प्रतिभा है तो फिर क्यो वह एशियाड़ व ओलंपिक में देश का डंका नही बजा पा रही है। जबकि हरियाणा और पंजाब जैसे राज्यों से सर्वाधिक खिलाड़ी ओलंपिक में हिस्सा ले रहे है।