पोरदेम मुठभेड़ के खिलाफ भी नीलावाया में जमा हुए ग्रामीण
सिलगेर कैंप में पुलिस फायरिंग में मारे गये तीन ग्रामीणों के दोषियों को सजा दिलाने के लिए गांव वालों ने लम्बा आंदोलन किया, इसके बाद सारकेगुड़ा की 9 वीं बरसी में भी ग्रामीण जमा होकर जांच रिपोर्ट को सार्वजनिक करने की मांग की। ग्रामीण अब पोरदेम मुठभेंड को भी फर्जी बता रहे है। ग्रामीण नीलावाया गांव में जमा होकर पुलिस के खिलाफ नारेबांजी करने के साथ ही आरोप लगाया कि संतोष मुठभेड़ में नही मारा गया है, बल्कि खेत से घर जाते वक्त जवानों द्वारा पकड़ कर ले जाया गया और गोली मारी गयी। ग्रामीणों का कहना है कि जब तक सरकार कोई ठोस निर्णय पर नही पहुंचती है तब तक शव नही ले जाएंगे।
सिलगेर विवाद के बाद ग्रामीणों और पुलिस के बीच संघर्ष बढ़ता दिखाई दे रहा है, पुलिस ग्रामीणों के द्वारा किये जा रहे विरोध को यह कह करके खारिज नही कर सकती कि नक्सलियों के दबाव में ग्रामीण विरोध कर रहे है, क्योकि बस्तर के लिए नासूर बन चुके नक्सली समस्या के समाधान के लिए पुलिस और ग्रामीण के बीच बेहत्तर तालमेल की जरूर है जिसमें विगत कुछ दिनों से कमी आती दिखाई दे रही है। सिलगेर विवाद के बाद यह तालमेल टूटता हुआ दिखाई दे रहा है। ग्रामीण अब पुलिस मुठभेड़ पर सवाल उठाने के लिए जूटना यही संकेत दे रहा है कि ग्रामीणों में पुलिस कार्यवाही को लेकर कही ना कही असंतोष बढ़ता जा रहा है। जिला प्रशासन को ग्रामीणों और पुलिस प्रशासन के बीच कम होते इस विश्वास को वापस कायम करने के लिए ठोस रणनीति बनायी जानी चाहिए ताकि मुठभेड़ में मारे गये नक्सलियों पर सवाल ना उठे। सिलगेर मामले की जांच रिपेार्ट अभी तक नही आयी है कि पोरदेम मुठभेंड की मारे गये संतोष की जांच की आवाज उठने लगी है, पोरदेम मुठभेड़ में मृतक संतोष का शव जिला अस्पताल दंतेवाड़ा के मच्र्युरी में तीन दिनों से रखा हुआ है।