May 1, 2025

क्या गलत समय में जितिन प्रसाद ने भाजपा में शामिल हुए ?

जितिन प्रसाद को भाजपा में शामिल करानें में योगी आदित्यनाथ की समहति ली गयी या नहीं?

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के बीच चल रहे खींचतान के बीच कांग्रेसी नेता जितिन प्रसाद जो राहुल गांधी के काफी करीबी माने जाते थे उन्होंने कांग्रेस का दामन छोड़ कर दामन इस विश्वास के साथ थामा है कि भाजपा की देश की एक संस्थागत राजनीतिक दल है, बाकी व्यक्ति आधारित व क्षेत्रीय दल है। क्या उनके भाजपा में शामिल होने से भाजपा के यह दोनों नेताओं के बीच चल रहे संघर्ष में कमी आयेगी या वृद्धि होगी? यह ऐसा सवाल है जिसका जवाब आने वाले दिनों में ही मिलेगा क्योकि उत्तरप्रदेश में ब्राम्हण वोट को साधने के लिए पूर्व में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के करीबी अरविंद शर्मा को विधान परिषद का सदस्य तो बना दिया गया लेकिन उसके बाद उन्हें कोई बड़ी जिम्मेदारी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने नही दी है। जिसकों लेकर भी घमासान मचा हुआ है, इसलिए यह सवाल तो बनता है कि जितिन प्रसाद को भाजपा में शामिल करने के लिए योगी आदित्यनाथ से हरी झंडी मिली, या बगैर उनके सहमति के भाजपा आलाकमान ने उन्हें पार्टी में शामिल कर लिया है?
बंगाल हारने के बाद उत्तरप्रदेश में राजनीति पारा गर्माया हुआ है, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के बीच शीतयुद्ध जारी है, वही संघ ने आगामी विधानसभा चुनाव प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चेहरे पर नही लडऩे का फैसला लिया जाना भी साबित करता है कि बंगाल हारने के बाद प्रधानमंत्री का कद पार्टी के अंदर भी कम हुआ है। वही दूसरी तरफ योगी आदित्यनाथ खुल कर प्रधानमंत्री के निर्देशोंं की अवहेलना करते दिखाई दे रहे है, ऐसा सात सालों में पहली बार होता देश की जनता देख रही है। इसी राजनीतिक घटना क्रम के बीच राहुल गांधी के करीब जितिन प्रसाद ने दीनदयाय उपाध्याय मार्ग पर स्थित भाजपा मुख्यालय में केंद्रिय मंत्री पीयूष गोयल द्वारा भाजपा की शामिल होने से यह सवाल उठने लगा है कि उनके भाजपा में शामिल कराने के लिए क्या योगी आदित्यनाथ से सहमति ली गयी या नही? राजनीतिक जानकारों का मानना है कि अगर जितिन प्रसाद का भाजपा में शामिल करने के लिए योगी आदित्यनाथ की सहमति नही ली गयी है तो उनका भी भविष्य अरविंद शर्मा की तरह ही हो जायेगा, वह तो विधान परिषद के सदस्य बन गये है उन्हें तो यह भी नसीब नही होने वाला हैं, क्योकि उत्तरप्रदेश में जिस तरह खींचतान चल रही हेै वह यही संकेत दे रहा है कि योगी आदित्यनाथ उत्तरप्रदेश की किसी भी प्रकार का दवाब नही चाहते है इसलिए आगामी विधानसभा चुनाव में जितिन प्रसाद को कोई बड़ी जिम्मेदारी देगें इसकी उम्मीद कम ही दिखाई दे रही है। अपने बेहत्तर राजनीति तलाशने के लिए जितिन प्रसाद ने जिस वक्त भाजपा की सदस्य ग्रहण की है वह उनके राजनीतिक कैरियर पर भी ग्रहण लगा सकता है। वैसे भी भाजपा वंशवाद राजनीति का विरोध करती है और वह कांग्रेस के वंशवाद राजनीति के प्रमुख चेहरों में एक है। राजनीतिक पंडितों का मानना है कि जितिन प्रसाद राजनीति में बहुत कमजोर है इसलिए उन्होंने भाजपा जाने का जो वक्त चूना है वह पूरी तरह से गलत है, वह भाजपा के अंदर चल रही राजनीति के दो पाटों में पीसने की पूरी पूरी संभावनाएं है।

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