बीसीसीआई के दावे की हवा निकली
मोदी सरकार मार्च में दावा कर रही थी कि भारत कोरोना के खिलाफ जंग जीत चुका है लेकिन अप्रैल में हालात पूरी तरह से बेकाबू हो गये, हालात यहां तक पहुंच गयी कि ऑक्सीजन की कमी से जहां लोगों की जान जाने लगी वही दूसरी तरफ दवाईयों की कालाबाजारी का नया कारोबार फलने फुलने लगा, अस्पतालों में बेड के लिए लाईन लगाने के अलावा श्मशान में भी लोग अपने परिजनों का शव जलाने के लिए लाईन लगाने का मजबूर हो गये। कोरोना की दूसरी लहर के बीच आईपीएल की शुरूआत हुई जिस पर सवाल उठने पर बीसीसीआई ने स्पष्ट किया कि आईपीएल पूरी तरह से सुरक्षित है लेकिन अभी आधे मैच भी नही हुए है कि कोलकाता नाईट राईडर के वरूण चक्रवती और संदीप वारियर कोरोना पॉजिटिव हो गये, जबकि पांच अन्य खिलाड़ी बीमार बताए जा रहे है जिसके चलते रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर का मैच रद्द करना पड़ा, यह घटना स्पष्ट करती है कि आईपीएल को सुरक्षित होने का जो दावा बीसीसीआई कर रही थी उसमें कोरोना ने सेंधमारी कर दी है। जैसे मोदी सरकार के दावे की धज्जियां कोरोना ने उतार दी है। सवाल यह है कि जब देश पूरी तरह से कोरोना संक्रमण की चपेट में है ऐसे वक्त आईपीएल के मैचों को जारी रख करके मोदी सरकार या बीसीसीआई देश व दुनिया को क्या संदेश देना चाहिए है? कि लाशों के बीच भी मैच खेला जा सकता है, शो मस्ट गो ऑन की तर्ज पर। कोरेाना के आईपीएल के बबल में दस्तक दे देने से निश्चित ही आईपीएल पर अब सुरक्षित नही रहा, जिसका दावा बीसीसीआई अभी तक कर रही थी, इसलिए जरूरी है कि देश में कोरेाना संक्रमण के बीच इस आयोजन पर भी मोदी सरकार को आईपीएल की भी समीक्षा करनी चाहिए। पहले ही मोदी सरकार कोरोना संक्रमण को लेकर कटघरे में खड़ी है, ऐसे में अगर आईपीएल की कोरेाना संक्रमण फैला तो मोदी सरकार पर सवाल और गहरा जायेगा क्योकि आईपीएल में विदेशी खिलाड़ी भी हिस्सा ले रहे है।