खिलाडिय़ों के कारण नही पांच अगस्त के चलते हॉकी में कास्य पदक मिला भारत को
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को देश के राष्ट्रीय खेल हॉकी के विकास के लिए विगत सात सालों में क्या किया, यह देश की जनता को बताना चाहिए, लेकिन यह बताने की जगह यह जरूर बताया कि 5 अगस्त देश के लिए कितना महत्वपूर्ण है, पांच अस्गत के दिन मोदी सरकार ने कश्मीर में धारा 370 को हटाया था इसके बाद पांच अगस्त को ही राम मंदिर का भूमिपूजन हुआ था इस बार पांच अगस्त को भारत को 41 साल बाद ओलंपिक में पदक मिला। इसका यह मतलब है कि अगर यह मैच किसी और दिन होता तो भारत को हॉकी में पदक नही मिलता, टोक्यों में जर्मनी के खिलाफ खेल रहे खिलाडिय़ों की मेहनत से ज्यादा जरूरी था पांच अगस्त का सौभाग्याशाली दिन होना। टोक्यों ओलंपिक में ओलंपिक के इतिहास में पहली बार पुरूष व महिला हॉकी टीम ने सेमीफाइनल पहुंचने में सफलता पाई, इसके पीछे अगर किसी का हाथ हेै तो वह ही ओडि़शा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक का। लेकिन ओलंपिक में पदक मिलने के बाद खिलाडिय़ों को बधाई देने में कोई भी नेता पीछे नही है, जबकि इन्ही बधाई देने वाले नेताओं के कंधो पर खेलों के विकास की जिम्मेदारी है। इन नेताओं को देश की जनता को यह भी बताना चाहिए कि हॉकी या अन्य खेलों क के विकास के लिए उन्होंने क्या किया। मोदी सरकार देश की जनता को विश्व गुरू बनाने का सपना लम्बे समय से बेच रही है लेकिन ओलंपिक में कब भारत विश्व गुरू बनानेगा अभी यह सपना मोदी सरकार के नेताओं ने नही देखा है इसलिए उसे जनता के बीच लॉच नही किया है, इसी लिए मोदी सरकार ने सरकारी खर्चे में कटौती करने के लिए खेल बजट को चुना, 2018 में मोदी सरकार ने 22 प्रतिशत की कटौती की, इसके बाद से लगातार खेल बजट में कमी आती जा रही है इस कटौती को लेकर हॉकी टीम को बधाई देने वालों ने मोदी सरकार पर किसी भी प्रकार का सवाल नही उठाया था। पांच अगस्त को कश्मीर से धारा 370 को हटाने के बाद क्या बदला यह ज्यादा महत्वपूर्ण है लेकिन मोदी सरकार यह बताने की जगह हॉकी की जीत को पांच अगस्त की तारीख से जोड़ कर खिलाडिय़ों के मेहनत को नजर अंदाज कर दिया कि उनकी जीत में उनकी मेहनत से ज्यादा पांच अगस्त का योगदान है।