वीआईपी कल्चर कही दशहरा पर्व की भव्यता को प्रभावित तो नही कर रहा
बस्तर दशहरा वीआईपी कल्चर का शिकार तो नही हो रहा है, क्योकि मावली परघाव के दिन भी ग्रामीणों की भीड़ गायब रहना आम जनता के बीच चर्चा का विषय बना। गौरतलब है कि विगत कुछ वर्षो से दशहरा मेंं मावली परघाव के दिन से ग्रामीणों की भीड़ भाड़ नजर आती है , इस बार ग्रामीणों की उपस्थिति गायब रही, भीतर रैनी के शाम को ग्रामीण शहर की सड़कों पर नजर आये। सवाल यह है कि बस्तर दशहरा को भव्यता के साथ मनाने के लिए हर तरह की योजनाएं बनती है, इसके बाद भी ग्रामीणों का आकर्षित क्यो नही कर पा रहा है बस्तर दशहरा। जिस पर आयोजकों को चिंतन मनन करने की जरूरत है, क्योकि बस्तर दशहरा का मुख्य आकर्षण ग्रामीण है।
कोरोना काल के चलते जरूर पिछले वर्ष दशहरा पर्व बहुत ही सुरक्षा के बीच मनाया गया था, इस वर्ष कोरोना के प्रतिबंध कही भी नजर नही आया। इसके बाद भी ग्रामीणों की दशहरा पर्व में ग्रामीणों की उपस्थिति पूर्व की तुलना में कम ही नजर आयी। लोगों को उम्मीद थी कि मावली परघाव के दिन पूर्व वर्षो की तरह ग्रामीणों आयेगें, लेकिन इस दिन में बहुत की काम ग्रामीण नजर आये। यह जरूर कि शहरवासियों के चलते मां दंतेश्वरी के सामने वाला सड़क पूरी तरह से भरी नजर आयी, परंतु गोलबाजार की अन्य सड़क खाली थी। जो कभी दशहरा पूर्व के दौरान पूरी तरह से भरी हुई रहती है।
वन विभाग और बस्तर हाई स्कूल खाली रहा
बस्तर दशहरा में ग्रामीणों के रहने की व्यवस्था इन्ही जगहों पर की जाती है, मावल परघाव के शाम को इन जगहों पर ग्रामीणों की भीड़ जमा हो जाती थी, लेकिन इस बार वन विभाग में कुछ ग्रामीण ही नजर आये वही बस्तर हाई स्कूल पूरी तरह से खाली रहा, भीतर रैनी के शाम को जरूर इन दोनों जगहोंं पर ग्रामीणों की भीड़ दिखाई दी। राजनीतिक जानकारों का कहना है कि मावली परघाव में ग्रामीणों की कमी को पूरा करने का प्रयास प्रशासन ने भीतर रैनी के दिन करके किसी तरह से दशहरा पर्व की गरीमा को बचाने में सफल रहे।
भंडारा वितरण में समय लगा
नवरात्रि में भंडारा का आयोजन करने वाले लोगों को ग्रामीणों की कमी के चलते प्रसाद वितरण करने में अतिरिक्त समय देना पड़ा। भंडारा का आयोजन करने वाले लोगों ने बताया कि मावली परघाव को देखते हुए पर्याप्त प्रसाद बनाया गया था। ग्रामीणों के भीड़ कम होने की वजह से भंडारा के प्रसाद वितरण में अतिरिक्त मेहनत करनी पड़ी।
राजमहल में भी कम ग्रामीण नजर आये
मावली परघाव के दिन देवी देवता लाने वाले ग्रामीण बड़ी संख्या में राजमहल परिसर में रूकते है, इस बार यहां पर रूके ग्रामीण भी चर्चा के दौरान इवस बात को महसूस कर रहे है कि बहुत कम लोग दशहरा पर्व में शामिल होने के लिए आये है।
दो दिनों तक दिन रात चहल पहल नजर आती थी
दहशरा पर्व के मावली परघाव से बाहर रैनी तक शहर की सड़कों में ग्रामीणों की भीड़ नजर आया करती थी, जिसके चलते शहर के सिनेमा हॉलों में भी दिन रात शो चला करते थे, लेकिन कुछ समय से इसमें भी गिरावट दिखाई दी, कोरोना काल के बाद खुले सिनेमा घरों में भीड़ बहुत कम दिखाई देती है, दशहरा पर्व के दौरान भी ऐसा ही नजर देखने को मिला।