May 1, 2025

ओवैसी का दूसरी बार यूपी में खाता नही खूला

भाजपा को दूसरी बार मिला भारी बहुमत

यूपी में धु्रवीकरण की राजनीति की जमीन तैयार करने में अहम भूमिका अदा करने वाले एआईएमआईएम के लगभग सभी 100 उम्मीदवों की जमानत जप्त जरूर हो गयी, लेकिन उनकी अथक मेहनत ने उत्तरप्रदेश में करीब तीन दशक के बाद योगी सरकार की सत्ता वापसी का रास्ता तैयार कर दिया, जिस पर चलकर भाजपा ने एक बार फिर 2017 की तरह ही भारी बहुमत से सत्ता में वापसी की। योगी सरकार को हराने के लिए ओवैसी ने यूपी में कड़ी मेहनत करते हुए सपा बसपा के साथ ही बीजेपी को निशाने पर लिया, ओवैसी ने अपनी सभा में सपा, बसपा और कांग्रेस पर मुसलमानों का वोट लेकर उन्हें पिछड़ा रखने का आरोप लगाया लगाया। राजनीतिक जानकारों का कहना है कि ओवैसी ने अपनी चुनावी सभा में मुस्लिम के मुद्दे उठाते रहे, जो भाजपा भी चाहती थी ताकि हिन्दू वोटों को एकजूट किया जा सके, क्योकि योगी आदित्यनाथ ने चुनाव के पूर्व ही कह चुके थे कि यह चुनाव 80 प्रतिशत और 20 प्रतिशत का है। भाजपा के बड़े नेताओं ने भी ओवैसी के बयानों को बेहद ही गंभीरता से लेते हुए ध्रुवीकरण की राजनीति की जमीन तैयार करने की कोशिश की। जिस पर एक बार फिर योगी सरकार ने जम कर वोटों की फसल काटी। गौरतलब है कि ओवैसी पर भी बसपा की तरह ही भाजपा के सहयोग करने का आरोप लगता रहा है। बंगाल में भी ओवैसी ने अपनी राजनीति जमीन तलाश करने के नाम पर भाजपा को लाभ पहुंचाने का प्रयास किया था लेकिन वहां पर प्रयोग पूरी तरह से फेल रहा, बिहार में जरूर उनका प्रयोग कामयाब रहा। यूपी में ओवैसी की पार्टी के उम्मीदवारों की जमानत जप्त हो गयी लेकिन धु्रवीकरण के लिए जिस नेता की भाजपा को जरूरत थी वह जरूर ओवैसी के रूप में मिल गया था, जिसका भरपूर फायदा गोदी मीडिया के माध्यम से उठाया। गौरतलब है कि 2017 के विधानसभा चुनाव में भी एआईएमआईएम का खाता नही खुला था लेकिन भाजपा रिकॉर्ड बहुमत के साथ सत्ता में आयी थी। 2022 में एक बार फिर यूपी में दोनों पार्टी की स्थिति एक जैसी ही थी।

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