May 1, 2025

भाजपाई को ही योगी सरकार की कानून व्यवस्था पर विश्वास नही

फर्जी मतदान को लेकर भाजपा प्रत्याशी धरने पर बैठे, पूर्व में मंत्री भी पुनमर्तदान की मांग कर चुके है

संभल जिले के भाजपा प्रत्याशी राजेश सिंघल का क्या योगी सरकार की पुलिस, प्रशासन से भरोसा उठा गया है? जो दूसरे चरण के मतदान के बाद फर्जी वोटिंग को लेकर धरने पर बैठने को मजबूर होना पड़ा। अभी तक विपक्षी दलों के द्वारा ही चुनाव आयोग पर पक्षपात करने का आरोप लगाते रहे है, लेकिन भाजपा के प्रत्याशी द्वारा चुनाव आयोग की कार्यशैली पर सवाल उठाने से आम जनता में यही संदेश जा रहा है कि भाजपा की हालत ठीक नही है, भाजपा प्रत्याशी अपने हार के डर से अभी से बहाने बनाने लगे है। गौरतलब है कि पहले चरण के चुनाव में भी यूपी के गन्ना मंत्री सुरेश राणा ने अपनी विधानसभा के 40 बूथों पर दोबारा मतदान की मांग चुनाव आयोग से की थी जिसे चुनाव आयोग ने खारिज कर दिया था।
यूपी चुनाव में भाजपा नेता योगी सरकार की कानून व्यवस्था को एक उपलब्धि की तौर पर पेश कर रहे है, लेकिन विधानसभा चुनाव के दौरान पहले चरण में गन्ना मंत्री सुरेश राणा ने अपने विधानसभा में 40 बूथों पर पुनमर्तदान की मांग की थी जिसे डीएम ने खारिज कर दिया। जो राजनीतिक गलियारों में चर्चा का विषय बना कि डीएम भी भाजपा की निश्चित हार को देखते हुए रंग बदलने लगे है। राजनीतिक जानकारों का कहना है कि योगी सरकार के गन्ना मंत्री सुरेश राणा के द्वारा पुनमर्तदान की मांग को डीएम द्वारा खारिज किया जाना स्पष्ट संकेत दे रहा है कि भाजपा की स्थिति धरातल में खराब है जिसका असर यूपी के दूसरे क्षेत्रों में पडऩा तय है। दूसरे चरण के मतदान में भी संभल जिले के भाजपा प्रत्याशी राजेश सिंघल के द्वारा फर्जी मतदान का आरोप लगाना इस संदेह को मजबूत कर रहा है कि यूपी में भाजपा की हालत बेहद नाजूक है। जिस कानून व्यवस्था का उल्लेख करके योगी सरकार आम जनता से वोट मांग रही है उस पर भाजपा के मंत्री व प्रत्याशी का विश्वास नही है, तो विपक्ष को कैसे होगा। जो चुनाव आयोग पर पक्षपात पूर्ण व्यवहार करने का आरोप लगा रही है।

अधिकारी भी दिखाने लगे अपना रंग

पहले चरण में मंत्री सुरेश राणा द्वारा 40 बूथों पर पूनमर्तदान की मांग व दूसरे चरण में फर्जी वोटिंग को लेकर धरना यूपी व देश की जनता को यही संदेश दे रहा है कि जिस कानून व्यवस्था के नाम पर भाजपा यूपी में वोट मांग रही है, उस कानून व्यवस्थ पर मंत्री व भाजपा प्रत्याशियों को ही भरोसा नही रह गया है, तो आम जनता को कैसे भरोसा होगा। अधिकारियों के द्वारा भाजपा प्रत्याशियों की मांग को खारिज किया जाना स्पष्ट संकेत दे रहा है कि डबल इंजन सरकार की यूपी से बिदाई होने वाली है। इसलिए उन्होंने भी रंग बदलना शुरू कर दिया है, जिसका अन्य चरणों में विस्तार ही होगा।

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